World Population Day 2021: इन गर्भनिरोधक तरीकों से शायद ही वाकिफ़ हों आप, जानिए क्या हैं

सोशल: हर साल 11 जुलाई को दुनिया भर में वर्ल्‍ड पॉपुलेशन डे मनाया जाता है. इस वर्ल्‍ड पॉपुलेशन डे का एकमात्र उद्देश्य यही होता है कि आबादी से जुड़ी समस्‍याओं के प्रति लोगों को जागरुक करना है. जागरुकता के तहत फैमिली प्‍लानिंग, जेंडर इक्‍वैलिटी, गरीबी, मेटरनल हेल्‍थ और मानवाधिकार से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाती है. हमारे देश के लिए भी बढ़ती आबादी कई समस्‍याओं का कारण बनती जा रही है. वहीँ इससे जुड़ी बर्थ कंट्रोल से जुड़ी जानकारियों का अभाव भी माना जाता है. दरअसल हमारे देश में बर्थ कंट्रोल के रूप में सबसे ज्‍यादा प्रचलन नसबंदी, कॉन्डम और गर्भनिरोधक गोलियां ही हैं. जबकि एनएचएसयूके के मुताबिक, ऐसे बहुत से गर्भनिरोधक तरीके भी हैं जिनके बारे में लोगों की जागरूकता सीमित है. तो आइए आज जानते हैं कि बर्थ कंट्रोल के अन्य क्‍या क्‍या तरीके हैं जिसे आसानी से अपनाया जा सकता है.


कॉन्डम का प्रयोग-
यह लेटेक्स या पॉलीयूरिथेन से बना हुआ पुरुष गर्भनिरोधक का तरीका है जो बर्थ कंट्रोल के साथ साथ यौन संचारित रोगों जैसे एचआईवी/एड्स से भी सुरक्षित रखता है.


फीमेल कॉन्डम का प्रयोग-
यह गर्भनिरोधक स्त्रियों की योनि में लगाया जाता है जो स्पर्म को कॉन्डम के अंदर रखता है और उसे यूट्रस के अंदर जाने से रोकता है. यह भी यौन संचारित रोगों से बचाव करता है.


डायाफ्राम का प्रयोग-
डायाफ्राम दरअसल लेटेक्स या सिलिकॉन से बना हुआ एक लचीली रिम वाला कप होता है जो डॉक्‍टरों की सलाह लेकर योनि के अंदर फिट किया जाता है जिससे अंडे फ़र्टिलाइज़ ना हो सके. बता दें कि सेक्स के बाद डायाफ्राम को कम से कम 6 घंटों तक योनि के भीतर ही रखा जाता है.


वजाइनल रिंग का प्रयोग-
यह एक छोटी सी प्लास्टिक की रिंग होती है जिसे योनि के अंदर लगाया जाता है. वजाइनल रिंग एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोजेन जैसे हारमोंस को लगातार रक्त में मिलाती रहती है जिससे प्रेगनेंसी को रोका जा सकता है.


इंट्रायूटरिन डिवाइस का प्रयोग-
यह लंबे समय तक चलने वाला गर्भनिरोध है. यह कॉपर और हार्मोनल दोनों प्रकार के होते हैं और तीन साल से बारह साल तक इसे इस्तेमाल किया जा सकता है.


गर्भनिरोधक गोलियों का प्रयोग-
गर्भनिरोधक गोलियां दरअसल दो प्रकार की होती हैं. एक है संयुक्त गोली जिसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोजेन हार्मोन होते हैं जबकि दूसरा है जिसमें केवल प्रोजेस्टोजेन हार्मोन होते हैं. इन दोनों को दिन में एक बार रोज सेवन करना होता है.


इमरजेंसी गर्भनिरोधक गोलियां-
इसे असुरक्षित यौन संबंध होने पर 72 घंटों के भीतर लेना होता है. इसमें मौजूद हार्मोन सिंथेटिक होता है इसलिए यह शरीर के लिए हार्मफुल भी होता है.


पुरुष नसबंदी-
एक एक छोटा सा ऑपरेशन होता है जिसमें पुरुषों की उस ट्यूब को काट दिया जाता है जो स्पर्म को वृषण से लिंग तक पहुंचाता है. इस प्रक्रिया के बाद सेक्स पर कोई भी असर नहीं पड़ता. यह उपाय स्थाई है.


महिला नसबंदी-
यह भी एक स्थाई उपाय है जिसमें ऑपरेशन की मदद से फैलोपियन ट्यूब को अवरुद्ध कर दिया जाता है जिससे अंडे गर्भ तक नहीं पहुंचते और महिला गर्भवती नहीं होती.


गर्भनिरोधक इंजेक्शन-
इसे एक महीने में या फिर तीन महीने में एक बार डॉक्टर की सलाह पर लगवाना पड़ता है. यह गर्भनिरोधक गोलियों की तरह ही काम करता है. इसका असर 8 से 13 सप्ताह तक बना रहता है.


गर्भनिरोधक प्रत्‍यारोपण-
गर्भनिरोधक प्रत्यारोपण छोटी और पतली प्लास्टिक की रॉड होती है जिसे महिला की बांह की अंदरूनी त्वचा में फिट किया जाता है. इसमें ईटोनोगेस्ट्रेल हार्मोन होते हैं जो धीरे-धीरे रक्त में मिलता रहता है. यह अधिकतर 4 साल तक के लिए गर्भावस्था से सुरक्षा प्रदान करता है.


गर्भनिरोधक पैच-
यह एक प्रकार का गर्भनिरोधक पैच होता है जिसे महिला अपने पेट, पीठ, बाँह और कूल्हे पर लगा सकती हैं. इसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोजेन हार्मोन होते हैं जो अंडों को अंडाशय से बाहर नहीं निकलने देते. एक पैच तीन सप्ताह तक सुरक्षा प्रदान करता है.


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