पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वर्ष 1984 में कानपुर में हुए सिख विरोधी दंगे की जांच के लिए शासन ने विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) गठित की है. पूर्व डीजीपी अतुल की अध्यक्षता में गठित एसआईटी 6 माह में जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शासन ने एसआईटी का गठन किया है.
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने मनजीत सिंह की याचिका पर सरकार को कानपुर के बजरिया और नजीबाबाद इलाकों में सिख दंगों को दौरान दर्ज हुए मामलों की जांच के लिए एसआईटी के गठन के निर्देश दिए थे. कुमार के मुताबिक एसआईटी उन मुकदमों की दोबारा विवेचना करेगी, जिनमें साक्ष्यों के अभाव में अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई.
गौरतलब है कि वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दो सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने पर दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़क गई थी और सिखों को निशाना बनाया गया. इस दौरान कानपुर, दिल्ली समेत देश के बड़े शहरों में सिख विरोधी दंगे हुए थे. दिल्ली के बाद सबसे भीषण दंगा कानपुर में ही हुआ था जहां 300 से ज्यादा सिखों के मारे जाने और सैकड़ों घर तबाह होने के आरोप लगे थे. हालांकि, जांच करने वाले रंगनाथ मिश्रा आयोग ने दंगों में 127 लोगों के मरने की बात कही थी.
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