तकिया घाट पर पाइथो रिमेडियेशन पद्धति से जल शोधन प्रक्रिया का अध्ययन

तकिया घाट पर पाइथो रिमेडियेशन पद्धति से जल शोधन प्रक्रिया का अध्ययन
मुकेश कुमार संवाददाता,गोरखपुर। गोरखपुर के तकिया घाट पर पाइथो रिमेडियेशन पद्धति ने प्राकृतिक जल शोधन प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जिसमें किसी भी प्रकार की मैकेनिकल पावर का उपयोग नहीं किया जा रहा है। यह इको-फ्रेंडली तकनीक पूरी तरह प्राकृतिक तरीके से जल शुद्धिकरण का कार्य करती है, जिससे शहर के नालों के जल को शोधित किया जाता है।

आज दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के लगभग 50 छात्र-छात्राओं ने इस जल शोधन तकनीक का अध्ययन किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय से प्रो. सत्यपाल सिंह, डॉ. प्रकाश सिंह, बलिंदर सिंह और विनीत सिंह उपस्थित रहे।

इसके अलावा, नगर निगम गोरखपुर से अधिशासी अभियंता अशोक कुमार भाटी, सहायक अभियंता नर्वदेश्वर पांडे, अवर अभियंता रंजीत कुमार और सिविल इंजीनियरिंग एक्सपर्ट सुलेख यादव ने भी इस प्रक्रिया की बारीकियों को साझा किया।
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विशेषज्ञों ने बताया कि यह तकनीक सीआर बाबू द्वारा विकसित और पेटेंट कराई गई है। नगर निगम गोरखपुर द्वारा इस पद्धति को लागू किया जा रहा है, जो जल शोधन के लिए एक प्राकृतिक और स्थायी समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
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