teachers transfers शिक्षकों के तबादलों पर गरमाई राजनीति, विधानसभा में विपक्ष का हल्ला बोल

लखनऊ उत्तर प्रदेश विधान परिषद में शिक्षक तबादलों का मुद्दा जोर-शोर से उठा। प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि शिक्षकों के तबादलों में भारी पक्षपात और अनियमितता हो रही है। आंकड़ों के मुताबिक, तबादले के लिए कुल 88 शिक्षकों ने आवेदन किया था, लेकिन केवल 4 शिक्षकों का ही ट्रांसफर हुआ, जिससे शिक्षकों में रोष व्याप्त है।

 

प्रश्नकाल में विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार से सीधा सवाल किया कि आखिर क्या कारण है कि इतने कम तबादले किए गए? समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्यों ने इसे शिक्षकों के साथ अन्याय करार दिया। सपा के एक वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया कि “तबादलों में पारदर्शिता नहीं है, सरकार मनमाने ढंग से फैसले ले रही है।

 

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वहीं, सरकार की ओर से जवाब देते हुए संबंधित मंत्री ने कहा कि शिक्षकों के तबादले निर्धारित मानकों और आवश्यकताओं के आधार पर ही किए गए हैं। सरकार ने दावा किया कि तबादलों की प्रक्रिया में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है, और बाकी आवेदनों पर भी विचार किया जा रहा है।

 

तबादला प्रक्रिया से नाखुश शिक्षक संगठनों ने भी सरकार पर सवाल उठाए हैं। एक शिक्षक संघ के नेता ने कहा कि “हम लगातार सरकार से तबादलों में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं, लेकिन हर बार शिक्षकों को निराशा ही मिलती है।” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि जल्द ही उचित निर्णय नहीं लिया गया तो शिक्षक सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

 

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उत्तर प्रदेश में शिक्षकों के तबादलों के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया है, जिसमें शिक्षकों को ऑनलाइन आवेदन करना होता है। सरकार इन आवेदनों की समीक्षा करने के बाद जरूरत और योग्यता के आधार पर तबादले करती है। लेकिन इस बार केवल चार शिक्षकों का ही ट्रांसफर किया गया, जिससे पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

 

अब इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ेगा। शिक्षक संगठनों की नाराजगी और विपक्ष के हमलों को देखते हुए सरकार पर भी दबाव बढ़ सकता है कि वह पूरी प्रक्रिया की फिर से समीक्षा करे।क्या सरकार शिक्षकों की नाराजगी को दूर कर पाएगी, या यह मामला बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन जाएगा? यह देखने वाली बात होगी

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