गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में अप्रवासन और विदेशी विधेयक 2025 पेश किया। उनका कहना था कि यह विधेयक किसी को भारत में प्रवेश से कने के लिए नहीं लाया गया है, बल्कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जो भी विदेशी नागरिक भारत में प्रवेश करें, वे यहां के निर्धारित कानूनों का पालन करें।
विधेयक का मकसद
यह विधेयक भारत के इमिग्रेशन नियमों को मॉडर्न बनाने और उन्हें मजबूत करने का प्रयास है। इसके माध्यम से केंद्र सरकार को विदेशियों से संबंधित मामलों, जैसे वीजा, रजिस्ट्रेशन और यात्रा दस्तावेजों की जरूरतों को रेगुलेट करने की शक्तियां मिलेंगी। साथ ही, यह विधेयक विदेशी नागरिकों की आवाजाही और उनकी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने की भी अनुमति देता है।
कड़े कानून और दंड प्रावधान
इस विधेयक में अवैध प्रवेश, जाली दस्तावेज़ों का उपयोग, और यात्रा नियमों के उल्लंघन करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने पर पांच साल तक की सजा और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इसके अतिरिक्त, प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश और अन्य उल्लंघनों पर भी कड़े दंड लगाए जाएंगे। ट्रांसपोर्टर्स को बिना उचित दस्तावेज़ के व्यक्तियों को लाने-ले जाने पर जुर्माना और वाहन जब्ती का सामना करना पड़ेगा।
विदेशी नागरिकों का पंजीकरण अनिवार्य
विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि सभी विदेशी नागरिकों को भारत में आगमन पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और अन्य संस्थाओं को इमिग्रेशन अधिकारियों को विदेशी नागरिकों की मौजूदगी की जानकारी देनी होगी।
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नए कानून से पुराने कानूनों का स्थानांतरण
यह विधेयक विदेशी अधिनियम 1946, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920, और विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम 1939 जैसे पुराने और औपनिवेशिक युग के कानूनों को बदलने का प्रयास है। इन कानूनों को अब समय की जरूरत के हिसाब से अपडेट किया जाएगा।
कांग्रेस का विरोध
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने विधेयक का विरोध किया है। तिवारी ने कहा कि यह विधेयक भारतीय संविधान के खिलाफ है और विदेशी नागरिकों के मेडिकल उपचार जैसी बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करता है। उन्होंने मांग की कि यह बिल वापस लिया जाए या संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाए।
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आगे क्या होगा?
विधेयक के प्रस्तुत होने के बाद, इसे संसद में आगे की प्रक्रिया के लिए भेजा जाएगा। यदि यह विधेयक पारित होता है, तो यह भारत में इमिग्रेशन और विदेशी नागरिकों की आवाजाही से संबंधित नियमों को पूरी तरह से बदलने का काम करेगा।