भारत (India) ने पाकिस्तान (Pakistan) के साथ सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को स्थगित करने के बाद अब बांग्लादेश (Bangladesh) के साथ गंगा नदी के जल बंटवारे को लेकर नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत गंगा जल समझौते (Ganga Water Treaty) की मौजूदा शर्तों में बदलाव करने के विकल्पों पर विचार कर रहा है, जिससे देश की बदलती जल आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
जलवायु परिवर्तन और बढ़ती मांग बनी वजह
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और बांग्लादेश के बीच हुए ऐतिहासिक समझौते को आपसी सहमति से संशोधित करने की बात पहले भी सामने आई थी। अब भारत का मानना है कि जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या में वृद्धि और बुनियादी ढांचे के विकास के चलते जल प्रबंधन की नई रणनीति जरूरी हो गई है। भारत विशेष रूप से सूखे के मौसम में जल आपूर्ति की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव चाहता है, ताकि पश्चिम बंगाल की जल ज़रूरतों को बेहतर तरीके से पूरा किया जा सके।
2026 में समाप्त होगा मौजूदा समझौता
गौरतलब है कि गंगा जल बंटवारे को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच यह समझौता वर्ष 1996 में हुआ था, जब बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना थीं। 30 साल की अवधि वाला यह समझौता 2026 में समाप्त होने वाला है, और इसी को ध्यान में रखते हुए भारत अब नई शर्तों के तहत समझौते को आगे बढ़ाने की योजना बना रहा है।
भारत की नई मांग
वर्तमान व्यवस्था के अनुसार, सूखे के मौसम (11 मार्च से 11 मई) के दौरान दोनों देशों को 10-10 दिनों के लिए बारी-बारी से 35,000 क्यूसेक पानी दिया जाता है। हालांकि भारत अब गर्मी के मौसम में जल की बढ़ती मांग को देखते हुए 30,000 से 35,000 क्यूसेक अतिरिक्त जल की मांग कर रहा है। यह पानी सिंचाई, बिजली उत्पादन और बंदरगाह संचालन जैसी आवश्यकताओं के लिए जरूरी बताया जा रहा है।
बातचीत से हल निकालने की कोशिश
अब जबकि समझौते की समयसीमा समाप्ति के करीब है, भारत और बांग्लादेश के बीच नई बातचीत की संभावना प्रबल हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों को आपसी सहयोग के जरिए ऐसा समाधान निकालना चाहिए जो पारस्परिक हितों की रक्षा करे और क्षेत्रीय जल संकट को दूर करने में मददगार हो।