मुकेश कुमार, ब्यूरो चीफ़ पूर्वांचल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर के दंत शल्य चिकित्सा विभाग ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. शैलेश कुमार और उनकी टीम ने दो घंटे की जटिल सर्जरी कर एक दो वर्षीय बच्चे को फिर से देखने की रोशनी दी। यह बच्चा बिहार के सिवान जिले के खुर्द दरोगा हाता गांव से है, जो एक किसान का पुत्र है।
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बच्चे की परेशानी छह महीने की उम्र में शुरू हुई थी, जब बिस्तर से गिरने के बाद उसकी दाहिनी आंख के पास सूजन और हेमेटोमा बन गया। धीरे-धीरे आंख के चारों ओर हड्डी का असामान्य विकास (बोनी एक्सोस्टोसिस) होता गया, जिससे उसकी आंखें बंद होने लगीं और दृष्टि पर असर पड़ा। परिजनों ने कई डॉक्टरों और होम्योपैथिक चिकित्सकों से इलाज करवाया, लेकिन राहत नहीं मिली।
अंततः बच्चा एम्स गोरखपुर की डेंटल ओपीडी में लाया गया, जहां जांच के बाद उसे भर्ती कर लिया गया। डॉ. शैलेश कुमार, जो ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन और सहायक प्राध्यापक हैं, ने अपनी टीम के साथ दो घंटे की सर्जरी कर आंख के पास बढ़ चुकी हड्डी को सफलतापूर्वक निकाल दिया। ऑपरेशन के बाद बच्चा अब सामान्य रूप से देख पा रहा है और पूरी तरह स्वस्थ है।
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इस सर्जरी में डॉ. शैलेश कुमार के साथ सीनियर रेजीडेंट डॉ. प्रवीण सिंह, जूनियर रेजीडेंट डॉ. प्रियंका त्रिपाठी और डॉ. सौरभ सिंह शामिल रहे। एनेस्थीसिया विभाग से प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. विक्रम वर्धन और एकेडमिक जूनियर रेजीडेंट डॉ. अरुंधति ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक प्रो. विभा दत्ता ने इस सफलता पर टीम को बधाई दी और कहा कि अब ऐसे जटिल मामलों के इलाज के लिए मरीजों को दिल्ली या लखनऊ जैसे बड़े शहरों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा।
डॉ. शैलेश कुमार ने बताया कि चेहरे पर किसी भी प्रकार की चोट या असामान्य सूजन को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत किसी ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन से संपर्क करना चाहिए। ये विशेषज्ञ चेहरे, जबड़े और मुंह से संबंधित जटिल सर्जरी के लिए प्रशिक्षित होते हैं।
यह सर्जरी न केवल चिकित्सा क्षेत्र में एम्स गोरखपुर की दक्षता को दर्शाती है, बल्कि क्षेत्रीय मरीजों के लिए भी आशा की किरण है।
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