उत्तर प्रदेश पुलिस की बॉर्डर स्कीम, जिसकी वजह से पुलिसकर्मियों में खासा रोष भी दिखता है, इसी मामले पर आगरा (Agra) रेंज से एक खबर सामने आ रही है. दरअसल, योगी सरकार के आने के बाद बॉर्डर स्कीम लगाई गयी थी, जिसके चलते घर के पास रह रहे पुलिसकर्मियों का तबादला कर दिया गया था. बावजूद इसके 693 ऐसे पुलिस कर्मी हैं, जो बॉर्डर स्कीम में 2014 में हुए ट्रांसफर आदेश के बाद भी जमे हुए हैं. जिनको अब हटाया जा रहा है.
आईजी ने दिए आदेश
जानकारी के मुताबिक, 2014 में पुलिसकर्मियों के ट्रांसफर के बाद भी अभी तक इनमें 683 अकेले आगरा (Agra) में हैं, दो मथुरा के और फिरोजाबाद के आठ पुलिस कर्मी हैं. हर साल इन्हें रिलीव किए जाने के लिए डीजीपी कार्यालय से आदेश आता रहा लेकिन अभी तक इन्हें रिलीव नहीं किया गया. इसकी जानकारी जब रेंज के आईजी सतीश गणेश को हुई तो उन्होंने मामले तत्काल सभी को रिलीव करने के आदेश दिए.
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बता दें कि आगरा (Agra) रेंज में पोस्टेड ये सभी पुलिसकर्मी पास के जिलों के ही रहने वाले हैं. इनके घर मथुरा, हाथरस, फिरोजाबाद में हैं और तैनाती आगरा में. इसी तरह मथुरा और फिरोजाबाद में सटे हुए जिलों के पुलिसकर्मी तैनात हैं. इनकी तैनाती को और भी लंबा समय हो गया है क्योंकि पांच साल तो तबादला आदेश को ही हो गए हैं. आईजी रेंज ए सतीश गणेश ने बताया कि रेंज के सभी कप्तानों को इन्हें रिलीव करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं.
इसलिए लागू हुई थी बॉर्डर स्कीम
गौरतलब है कि पहली बार बसपा सरकार ने और दूसरी बार योगी सरकार ने बार्डर स्कीम लागू करते समय तर्क दिया था, गृह जनपद से सटे जिले में तैनात रहने पर सिपाही स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो जाते हैं. जिससे विभागीय काम के साथ ही साथ कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण का काम प्रभावित होता है. थाने और चौकियों पर तैनाती के लिए अधिकारियों पर राजनीति दबाव बनवाने की भी बात कही गई थी.
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