मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर। गोरखपुर के एम्स अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों और उनके परिजनों को एक नई समस्या का सामना करना पड़ रहा है—सुरक्षा गार्डों का दुर्व्यवहार। अस्पताल एक ऐसा स्थान होता है, जहां लोग पहले से ही शारीरिक और मानसिक तकलीफ में होते हैं, लेकिन कुछ गार्डों का कठोर रवैया उनके लिए परेशानी का कारण बन रहा है।
रूखा व्यवहार बढ़ा रहा है तनाव
मरीजों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में सुरक्षा गार्डों का व्यवहार अमानवीय होता जा रहा है। जरूरतमंद लोगों से सख्ती से बात करना, बिना वजह डांटना और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करना आम बात हो गई है। कई लोग तो डर के मारे अपनी बात भी नहीं रख पाते। अस्पताल में हर कोई किसी न किसी तकलीफ में होता है, ऐसे में सुरक्षा गार्डों की यह सख्ती मानसिक तनाव को और बढ़ा देती है।
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डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ दे रहे संबल
हालांकि, एम्स गोरखपुर के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ का रवैया इसके बिलकुल उलट है। वे न केवल मरीजों का इलाज पूरी निष्ठा से कर रहे हैं, बल्कि उन्हें भावनात्मक संबल भी दे रहे हैं। कई मरीजों के परिजनों ने कहा कि डॉक्टर और नर्सों का व्यवहार बहुत ही सहानुभूतिपूर्ण है, जिससे उन्हें मानसिक शांति मिलती है। यही सच्ची सेवा भावना है, जो मरीजों और उनके परिवारों को थोड़ा सुकून देती है।
प्रशासन को उठाने होंगे ठोस कदम
यह जरूरी है कि अस्पताल प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से ले और गार्डों को सही प्रशिक्षण दे। उन्हें सिखाया जाए कि मरीजों और उनके परिवारों से कैसे पेश आना चाहिए। साथ ही, डॉक्टरों और नर्सों की सराहनीय सेवा के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना भी जरूरी है, ताकि वे अपने काम को इसी समर्पण के साथ जारी रख सकें।
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अस्पताल में आने वाले हर इंसान को सम्मान और संवेदनशीलता की जरूरत होती है। अगर प्रशासन इस पर ध्यान देता है, तो न सिर्फ मरीजों और उनके परिजनों को राहत मिलेगी, बल्कि एम्स गोरखपुर की छवि भी बेहतर होगी।
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