उत्तराखंड में प्रकट हुए बाबा अमरनाथ, जोशीमठ से 82 किमी दूर चीन सीमा से लगे गांव में हो रहे दर्शन

उत्तराखंड के नीति घाटी में, जो कि चीन सीमा से सटा हुआ है, एक विशेष घटना सामने आई है। नीति के टिम्मरसैंण गुफा में इस बार ‘बाबा बफार्नी’ ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। जोशीमठ से लगभग 82 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में शिवलिंग के आकार में बर्फ से बाबा अमरनाथ के दर्शन हो रहे हैं। जिला प्रशासन इस यात्रा को शुरू करने की योजना बना रहा है। स्थानीय निवासियों से यात्रा की व्यवस्थाओं पर चर्चा की जा चुकी है और होम स्टे की सुविधाएं भी तैयार की गई हैं। यदि शासन से अनुमति मिलती है, तो फरवरी के अंत तक बाबा बफार्नी की यात्रा शुरू हो सकती है।

वर्ष भर रहते हैं शिव

टिम्मरसैंण गुफा में वर्ष भर शिवलिंग की पूजा होती है, जो जलधाराओं से अभिषेक होता है। शीतकाल में जब नीति घाटी के लोग अपने शीतकालीन गांवों में चले जाते हैं, तो इस क्षेत्र में सेना के अलावा कोई नहीं रहता। इस समय बर्फबारी के बाद गुफा में बाबा बफार्नी के आकार में बर्फ के शिवलिंग बनते हैं, जिनकी ऊंचाई आठ फीट से भी ज्यादा होती है। इन शिवलिंगों पर भी स्वाभाविक रूप से जलाभिषेक होता है।

बाबा बफार्नी का स्वरूप

टिम्मरसैंण गुफा में एक मुख्य शिवलिंग है, जिसे बाबा बफार्नी का स्वरूप माना जाता है। बाकी के शिवलिंगों को बाबा के परिवार के रूप में पूजा जाता है। हर साल अप्रैल में नीति घाटी के लोग यहां पूजा अर्चना करते हैं, लेकिन अब प्रशासन ने बाबा बफार्नी की यात्रा शुरू करने की योजना बनाई है।

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यात्रा की योजना और प्रशासन की तैयारी

इस यात्रा को लेकर जिला प्रशासन ने शासन को रिपोर्ट भेजी है। यदि शासन से अनुमति मिलती है, तो फरवरी के अंत से लेकर अप्रैल तक इस यात्रा का आयोजन किया जा सकता है। प्रशासन ने नीति घाटी के ग्रामीणों से होम स्टे और अन्य सुविधाओं की जानकारी ली है। नीति घाटी में इस समय पर्यटकों के लिए सीमित होम स्टे हैं, लेकिन बाबा बफार्नी की यात्रा के बाद इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर खुलेंगे।

स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया

नीति घाटी की प्राकृतिक सुंदरता में बर्फ से ढके पहाड़, नदियाँ और जंगल इस क्षेत्र को और भी खास बनाते हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि बाबा बफार्नी की यात्रा से नीति घाटी में स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे और यह क्षेत्र पर्यटन के लिहाज से एक नया मुकाम हासिल करेगा। इस यात्रा की शुरूआत से न केवल स्थानीय समुदाय को लाभ मिलेगा, बल्कि श्रद्धालु भी बाबा बफार्नी के दर्शन करके पुण्य अर्जित कर सकेंगे- प्रकाश रावत, पूर्व प्रमुख ज्योर्तिमठ

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