बलरामपुर: मदरसे में भ्रष्टाचार का खेल उजागर, रातों-रात फर्जी शिक्षकों को नियुक्त कर बांट दी सैलरी

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर (Balrampur) जनपद में एक मदरसे (Madarasa) में बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। इस मदरसे में शिक्षकों की नियुक्ति में हुए भ्रष्टाचार का खेल उजागर होने से हड़कंप मच गया है। मामला तुलसीपुर के जरवा रोड स्थित मदरसा दारुल उलूम अतीकिया का है। आरोप है कि अनुदान मिलने के बाद फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति कर उन्हें सैलरी भी बांट दी गई। वहीं, अनुदान पत्रावली में शामिल लिस्ट के सभी शिक्षक और कर्मचारी न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं।


डीएम ने तुलसीपुर एसडीएम को सौंपी जांच


मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने एसडीएम तुलसीपुर को जांच सौंप दी है। सूत्रों ने बताया कि 27 फरवरी 2013 को अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की सचिव लीना जौहरी ने प्रदेश के 75 मदरसों को अनुदान पर लिए जाने संबंधी एक शासनादेश जारी किया था।


Also Read: हरियाणा: लेफ्टिनेंट बनकर देश सेवा करना चाहती थी निकिता तोमर, लव जिहाद में असफल होने पर तौफीक ने गोलियों से भूना


इसी क्रम में 24 अगस्त 2013 को तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी विनोद कुमार जायसवाल ने आलिया स्तर के स्थाई मान्यता प्राप्त मदरसा दारुल उलूम अतीकिया, तुलसीपुर को अनुदान सूची में लिए जाने का एक प्रस्ताव रजिस्ट्रार उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद लखनऊ को भेजा था। उस समय इस मदरसे में कुल 15 शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मी कार्यरत थे।


इनमें सहायक अध्यापक आलिया के 4 शिक्षक, सहायक अध्यापक फौकानिया के 3 शिक्षक और सहायक अध्यापक तहतानिया के 5 शिक्षक शामिल थे, जबकि एक लिपिक और एक अनुचर भी मदरसे में नियुक्त थे। अनुदान के लिए भेजी गई पत्रावली में मदरसे में कार्यरत 15 शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की सूची भी रजिस्ट्रार उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद को भेजी गई थी।


रातोंरात बदल गई शिक्षकों की लिस्ट


Also Read: मेरठ: तमंचे के बल पर महिला से गैंगरेप, मेहताब समेत तीन के खिलाफ केस दर्ज


अनुदान के लिए शासन को भेजी गई पत्रावली में जिन शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के नाम थे, उनमें आबिद अली, मोहम्मद हम्मद अली खां नईमी, हस्सान रजा, शमा अंजुम, मोहम्मद सरफुद्दीन, अकबर अली खान, कुमैल अहमद, समील अहमद खां, इकबाल अहमद, तारिक अजीज, कदीर अहमद, मोहम्मद मुस्तफा, तौफीक अहमद और अब्दुल सलमान शामिल थे। इन सभी शिक्षक और कर्मचारियों की मदरसे में नियुक्ति 2005 से लेकर 2013 के पहले हुई थी।


शासन को भेजी गई अनुदान पत्रावली के आधार पर 23 जुलाई 2015 को शासनादेश के जरिए मदरसा दारुल उलूम अतीकिया, तुलसीपुर को अनुदान पर ले लिया गया। अनुदान मिलते ही मदरसे का प्रबंधन अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर रातों-रात अनुदान के लिए भेजी गई पत्रावली में शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की सूची को बदल कर नए शिक्षकों और कर्मचारियों की तैनाती कर दी। आनन-फानन में फर्जी शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन निर्गत कर उसका अनुमोदन भी करा लिया गया।


( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )