अडानी की इस डील पर पतंजलि के बाबा रामदेव की नजर, कर सकते हैं कब्ज़ा

पतंजलि आयुर्वेद अब एक बार फिर से रूचि सोया का अधिग्रहण करने की इच्छुक है. एक रिपोर्ट की माने तो इस सौदे में सफल अडानी विल्मर रेज्यूल्यूशन प्रक्रिया को बंद करने में देरी का हवाला देते हुए रूचि सोया को खरीदने वाला अपना प्रस्ताव वापस ले रही है. संपत्ति के लिए दूसरी सबसे बड़ी बोली लगाने वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद का कहना है वह इस परिसंपत्ति में दिलचस्पी रखता है और अगर किसी व्यक्ति को इसकी जानकारी है तो वह अडानी के प्रस्ताव का मिलान करने को तैयार है.

 

अडानी विल्मर ने ऋणदाताओं को लिखे एक पत्र में कहा, वह रुची सोया के लिए 5,474 करोड़ रुपये की पेशकश को वापस ले रही है क्योंकि प्रक्रिया को बंद करने में देरी “परिसंपत्ति की गिरावट का कारण बन रही है और यह हानिकारक है. अडानी विल्मर, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रमुख अडानी समूह और सिंगापुर के विल्मर इंटरनेशनल के बीच एक संयुक्त उद्यम, को लेनदारों की समिति (सीओसी) ने अगस्त में भारत के सबसे बड़े दिवालिया खाद्य तेल निर्माता के लिए विजेता बोलीदाता के रूप में चुना था.

 

 

इससे पहले रुचि सोया के अधिग्रहण के लिए अडानी-विल्मर ने 5474 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी, जो कि अब तक की सबसे बड़ी बाेली थी. इसमें बोली से मिलने वाले रकम से लेंडर्स को 4300 करोड़ रुपए का दिया जाने वाला रकम भी शामिल था.

 

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पतंजलि के पास अडानी विल्मर की बोली से ज्यादा ऑफर देने के लिए शनिवार सुबह तक का समय था लेकिन पतंजलि ने अौर अधिक बोली लगाने से इंकार कर दिया. बोली के पहले दौर में पतंजलि ने रूचि सोया को खरीदने के लिए 43 अरब रुपये का प्रस्ताव दिया था, जो अडानी के 33 अरब रुपये के प्रस्ताव से 30 फीसदी अधिक था.

 

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