भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस का संगठनात्मक फेरबदल, ब्राह्मण और निषाद वोट बैंक को साधने की कांग्रेस की रणनीति

मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर। गोरखपुर में कांग्रेस ने संगठनात्मक बदलाव करते हुए राजेश तिवारी को जिला अध्यक्ष और रवि निशाद को महानगर अध्यक्ष नियुक्त किया है। इन नियुक्तियों के माध्यम से पार्टी ने आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए जातिगत समीकरणों को साधने का प्रयास किया है।

राजेश तिवारी की नियुक्ति:

राजेश तिवारी ब्राह्मण समुदाय से आते हैं और उनकी नियुक्ति से कांग्रेस ने इस प्रभावशाली वर्ग को साधने की कोशिश की है। पूर्व में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे तिवारी ने 2022 में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी। उनकी ब्राह्मण समाज में मजबूत पकड़ है, जो कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है

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रवि निशाद को महानगर अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने निषाद समुदाय को साधने का प्रयास किया है, जो पूर्वांचल में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है। निषाद समुदाय की राजनीतिक सक्रियता को देखते हुए यह कदम कांग्रेस के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

भाजपा की सूची और जातिगत समीकरण:

भाजपा ने भी हाल ही में अपने जिलाध्यक्षों की सूची जारी की है, जिसमें जातिगत संतुलन का विशेष ध्यान रखा गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा ने विभिन्न जातियों से अध्यक्ष नियुक्त किए हैं, जैसे चार ठाकुर, दो ब्राह्मण, दो गुर्जर, दो जाट, एक दलित, एक अति पिछड़ा, एक त्यागी, दो सैनी, एक जैन (अल्पसंख्यक) और एक वैश्य। इससे स्पष्ट है कि भाजपा ने भी आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए जातिगत समीकरणों को साधने का प्रयास किया है।

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कांग्रेस की रणनीति:

कांग्रेस ने राजेश तिवारी और रवि निशाद की नियुक्ति के माध्यम से ब्राह्मण और निषाद समुदाय को साधने की कोशिश की है। यह कदम भाजपा की जातिगत संतुलन साधने की रणनीति के जवाब में देखा जा सकता है। गोरखपुर में ब्राह्मण और निषाद समुदाय की महत्वपूर्ण जनसंख्या को देखते हुए, कांग्रेस की यह रणनीति आगामी चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है।

इन नियुक्तियों से कांग्रेस ने यह संकेत दिया है कि वह आगामी चुनावों में जातिगत समीकरणों को साधने के लिए सक्रिय रूप से प्रयासरत है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ये बदलाव पार्टी के लिए कितने प्रभावी साबित होते हैं।

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