हाल ही में कानपुर जिले के एक थानेदार पर चोरी की कार चलाने का आरोप लगा था. इस मामले में थाना स्तर अब रिपोर्ट भेज दी गयी है. जिसमे एक सिपाही को आरोपित बनाया गया है. रिपोर्ट में ये कहा गया है कि ये कार थानेदार नहीं बल्कि सिपाही ही चलाता था. जिसके बाद उसे सस्पेंड कर दिया गया. हालाँकि अभी सीओ की जांच जारी है, आगे की कार्रवाई उन्हीं की रिपोर्ट के आधार पर होगी.
थानेदार ने कहा ये
जानकारी के मुताबिक, बिकरू काण्ड में घायल हुए बिठूर के थानेदार कौशलेन्द्र प्रताप सिंह पर चोरी की कार चलाने का आरोप लगा था. जिसके बाद शनिवार को थाने स्तर की जांच में थानेदार कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने डीआईजी को रिपोर्ट भेज सिपाही विकास बघेल को दोषी बताया. उनका कहना है कि विकास ही कार का इस्तेमाल कर रहा था. डीआईजी डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि सिपाही को निलंबित कर प्रारंभिक जांच के आदेश दिए गए हैं. पूरे मामले की जांच सीओ कल्याणपुर कर रहे हैं.
आरोपित एसओ ने अपनी जांच में ये कहा कि यह कार 14 दिसंबर को भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान रोड पर लावारिस मिली थी. कार सिपाही ललित व रामनरेश थाने ले आए. उसी दिन भारतपुरवा में एक बलवे की सूचना मिली. थाने पर कोई वाहन नहीं था. ऐसे में बिना उनकी अनुमति के सिपाही विकास बघेल कार ले गया. वापसी में कार खराब हो गई, उसे सर्विस सेंटर भेज दिया गया. सामने आया है कि जो सिपाही उस दिन छुट्टी पर था, उससे कार की बरामदगी दिखा दी और जो कभी कार में बैठा नहीं, उसे बिना अनुमति कार ले जाने का आरोपित बना दिया। निलंबन का दंश ङोल रहा सिपाही मंगलवार को एसएसपी के सामने अपनी बात रख सकता है।
वहीँ अगर अमर उजाला अख़बार की खबर की मानें तो जब आवास विकास चौकी के इंचार्ज कौशलेंद्र थे तब भी कार का इस्तेमाल करते थे. वहीं बिठूर में भी इस्तेमाल किया. पर, अफसरों ने उनको बचा लिया. ये इसलिए क्योंकि बिकरू कांड में कौशलेंद्र प्रताप को दो गोलियां लगी थीं. उनको प्रशस्ति पत्र भी मिला था. इसलिए उनको दोषी नहीं बनाया गया.
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ये था मामला
चोरी हुई ये गाड़ी कानपुर के ही बर्रा थाना क्षेत्र के बर्रा-2 में रहने वाले ओमेंद्र सोनी की थी. बीते 31 दिसंबर 2018 को रतनलाल नगर से उनकी कार वैगन आर चोरी हो गई थी. इसकी एफआईआर उन्होंने 4 जनवरी को दर्ज कराई थी. बिठूर के थानेदार कौशलेंद्र प्रताप सिंह इस दो साल से इस्तेमाल कर रहे थे.
SHO ने अपनी वैगनआर कार की सर्विस कराने के लिए ऑथराइज्ड सर्विस सेंटर भेजी थी. जहां से सर्विस सेंटर ने कार की सर्विस कर थानेदार को वापस कर दी. कुछ दिनों बाद गाड़ी की सर्विस का फीडबैक लेने के लिए सर्विस सेंटर से कार मालिक को फोन किया गया. यह फोन कार की चेसिस नम्बर के आधार पर उसके ओरिजनल मालिक को किया गया.
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मालिक दो साल बाद कार की सर्विस के फीडबैक की कॉल सुनकर चौंक गया, तब खुलासा हुआ कि चोरी की गई कार सर्विस के लिए सर्विस सेंटर भेजी गई थी. असली कार मालिक ने सर्विस सेंटर पहुंच कर पता किया तब है बात सामने आई कि कार को बिठूर के एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह को 22 दिसंबर को सर्विसिंग के बाद लौटा दिया गया था. हालांकि SHO ने असल मालिक को कार लौटाने के वादा करते हुए ये कहा कि अफसरों से मामले की शिकायत ना की जाए.
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