आजकल छोटे बच्चे कार्टून देखने के इतने आदी हो गए हैं कि वे उन्हीं की भाषा और उच्चारण को अपनाने लगते हैं। कभी-कभी बच्चे अपने माता-पिता या दोस्तों से भी कार्टून कैरेक्टर की तरह बात करने लगते हैं, जिससे उनकी वास्तविक भाषा और संचार कौशल पर असर पड़ सकता है।
अगर आपका बच्चा भी ऐसा कर रहा है, तो चिंता की बात नहीं है। सही मार्गदर्शन से आप इस आदत को सुधार सकते हैं। आइए जानते हैं 5 आसान तरीके, इन पांच बातों की गांठ बांध लें समय पर किया जा सकता हैं सुधार पहले तो ये की स्क्रीन टाइम सीमित करें,बच्चे के स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है। डॉक्टर और विशेषज्ञ 2 साल से छोटे बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम को पूरी तरह से अवॉइड करने और बड़े बच्चों के लिए इसे 1-2 घंटे तक सीमित रखने की सलाह देते हैं।
साथ ही हिंदी और अन्य मातृभाषाओं को बढ़ावा दें ,बच्चे से घर में हमेशा सही उच्चारण और स्पष्ट भाषा में बात करें।
उसे हिंदी या अपनी मातृभाषा में संवाद करने के लिए प्रेरित करें। इतना ही नही कहानी और किताबों की आदत डालें ,बच्चों को अच्छी हिंदी और अंग्रेजी की किताबें पढ़ने के लिए दें। उन्हें कहानी सुनाने और सुनने की आदत डालें, जिससे वे सही भाषा शैली को अपना सके|
महत्वपूर्ण बात ये भी है कि इंटरैक्टिव एक्टिविटी में शामिल करें ,बच्चों को ऐसी गतिविधियों में शामिल करें, जहां वे सही भाषा में बातचीत कर सकें। नाटक, डिबेट, कविता पाठ जैसी गतिविधियां उनके भाषा कौशल को सुधारने में मदद करेंगी। साथ मे कार्टून कंट्रोल करें और एजुकेशनल कंटेंट दिखाएं ,अगर बच्चा कार्टून देखता है, तो उसे ऐसे शो दिखाएं, जिनमें भाषा साफ और सही हो। एजुकेशनल कार्टून या ऐसे कार्यक्रम चुनें, जो बच्चों को सीखने में मदद करें।अगर इन तरीकों को सही तरीके से अपनाया जाए, तो बच्चा जल्दी ही कार्टून की भाषा छोड़कर सही संवाद शैली अपनाने लगेगा।
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