Emergency 1975: आपातकाल में संघ प्रमुख देवरस ने इंदिरा गांधी को क्यों लिखीं चिट्ठियाँ?

क्या आपको पता है कि Emergency के दौरान RSS प्रमुख बी.आर. देवोरस (B.R. Devoras) (मधुकर दत्तात्रय देवोरस) ने इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को चिट्ठियाँ लिखीं थीं? जी हाँ 1975 में जब देश में आपातकाल लागू हुआ, तब लोकतंत्र के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। उस समय संघ के प्रमुख देवरस को जेल में डाल दिया गया। बी.आर. देवोरस को लोग बालासाहेब देवरस के नाम से भी जानते थे। उन्होंने जेल से ही देवोरस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को तीन ऐतिहासिक चिट्ठियाँ लिखीं थी।

द ब्रदरहुड इन सैफ्रन

1987 में, संघ के इतिहास पर एक महत्वपूर्ण पुस्तक लिखी थी। उस किताब का नाम था द ब्रदरहुड इन सैफ्रन द राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एंड हिंदू रिवाइलिज्म’। इस पुस्तक में संघ का आपातकाल काल, बालासाहेब देवरस की भूमिका,के एस सुदर्शन और नागपुर से दिल्ली तक के सत्ता संघर्ष की घटनाएं शामिल होंगी। 1987 की किताब वाल्टर के एंडरसन और संघ के करीबी श्रीधर डामले ने मिलकर लिखी थी। एंडरसन अमेरिकी विदेश मंत्रालय से जुड़े रहे और दिल्ली में भी रहे। डामले अब शिकागो में रिसर्चर हैं। इस बार दोनों डॉन होपकिन्स के साथ मिलकर संघ के इतिहास के नए संस्करण पर काम कर रहे हैं। डामले ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि नई किताब में आपातकाल के दौरान बालासाहेब देवरस द्वारा इंदिरा गांधी से माफी मांगने की रणनीति और उस समय संघ में छिपे हुए कई राजनीतिक पहलुओं को उजागर किया।

आपातकाल में संघ की आंतरिक राजनीति और माफी की रणनीति

डामले के अनुसार, आपातकाल के दौरान संघ के नेताओं को इंदिरा गांधी से माफी मांगने के लिए कहा गया था, ताकि संगठन को राजनीतिक तौर पर सुरक्षित रखा जा सके। यहां तक कि अटल बिहारी वाजपेयी को भी माफी मांगने को कहा गया था। वाजपेयी ने डामले को बताया था कि वे बिना अनुमति कोई कदम नहीं उठा रहे थे।यह माफी रणनीति संघ की उस जटिल स्थिति को दर्शाती है, जहां संगठन को विरोधी आंदोलन में खुले तौर पर शामिल होने में हिचक थी।

एकनाथ रानाडे और संघ के भीतर सत्ता संघर्ष

नई किताब का एक आकर्षक हिस्सा एकनाथ रानाडे की कहानी होगी, जो आपातकाल के दौरान कन्याकुमारी गए थे। विवेकानंद मेमोरियल की स्थापना के लिए भेजे गए रानाडे संघ के सरकार्यवाह रहे, लेकिन कन्याकुमारी जाने के बाद संघ में वापस नहीं लौटे। यह संघ के सत्ता संघर्ष का एक महत्वपूर्ण अध्याय है।

महिलाओं की भूमिका और संघ की बैठक में उनकी भागीदारी

संघ पर महिलाओं से दूरी बनाए रखने का आरोप रहा है, लेकिन डामले के खुलासे के अनुसार, आपातकाल के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेविका संघ ने गुरु दक्षिणा जुटाकर संघ के कामकाज में मदद की। जेल से रिहा होने के बाद बालासाहेब देवरस ने पहली बार 25 महिला सेविकाओं को संघ की बैठक में शामिल किया था।हालांकि, कुछ नेताओं ने इसका विरोध किया, लेकिन देवरस ने 1948 और 1977 के समय के उदाहरण देकर इन महिलाओं की अहमियत बताई।

संघ परिवार में मतभेद

25 जून 1975 को इंदिरा गांधी द्वारा लागू किए गए आपातकाल को भाजपा और संघ काला दिवस मानते हैं और दावा करते हैं कि संघ ने इसका सख्त विरोध किया। लेकिन इतिहास के दस्तावेज बताते हैं कि संघ परिवार इस मुद्दे पर एकमत नहीं था।कुछ नेता जेपी आंदोलन के साथ थे, जैसे नानाजी देशमुख, जो आपातकाल विरोधी आंदोलन में शामिल होकर पुलिस की लाठियां खा रहे थे। वहीं, सरसंघचालक बालासाहेब देवरस ने इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर संघ को आंदोलन से अलग बताया।

आपातकाल के दौरान देवरस का इंदिरा गांधी से संपर्क

30 जून 1975 को आपातकाल लागू होने के पांच दिन बाद देवरस को गिरफ्तार कर यरवदा जेल भेज दिया गया। 4 जुलाई 1975 को संघ पर प्रतिबंध लगा। इसके बावजूद देवरस ने इंदिरा गांधी के आवास से संपर्क स्थापित किया और सरकार के कुछ कदमों का समर्थन भी किया, खासकर संजय गांधी के परिवार नियोजन अभियान की प्रशंसा। देवरस ने जेल से कई पत्र इंदिरा गांधी को लिखे, जिनमें उन्होंने संघ की भूमिका और देश के विकास में उसकी भागीदारी की बात की। 22 अगस्त 1975 को लिखा पहला पत्र इस तरह शुरू होता है। 15 अगस्त 1975 को दिल्ली के लाल किले से आपका भाषण मैंने कारागार में सुना, वह समयोचित और संतुलित था।उन्होंने संघ से लगे प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया और कहा कि संघ देश की उन्नति में योगदान दे सकता है।

 देवरस का विनोबा भावे से संपर्क

इंदिरा गांधी ने देवरस के पत्रों का कोई जवाब नहीं दिया। 10 नवंबर 1975 को देवरस ने पुनः पत्र लिखा और सुप्रीम कोर्ट के चुनाव वैध ठहराए जाने की बधाई दी। साथ ही संघ को जेपी आंदोलन से अलग बताया और आंदोलन को जनता के असंतोष से उपजा स्वस्फूर्त आंदोलन बताया। जब इंदिरा गांधी ने पत्रों का जवाब नहीं दिया, तब देवरस ने ‘अनुशासन पर्व’ कहे जाने वाले विनोबा भावे से संपर्क साधा। 12 जनवरी 1976 को लिखे पत्र में उन्होंने विनोबा से प्रार्थना की कि वे प्रधानमंत्री की संघ के प्रति गलत धारणा दूर करने का प्रयास करें ताकि संघ के कार्यकर्ता जेल से मुक्त हों और देश की उन्नति में सहयोग कर सकें।

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