गोरखपुर जेल के कैदी करेंगे दिन में काम, शाम को लौटेंगे जेल

मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर : जल्द ही गोरखपुर जेल के सजायाफ्ता कैदी दिन में बाहर जाकर काम करेंगे और शाम को जेल में वापस लौट आएंगे। इस अनूठी पहल की शुरुआत जेल प्रशासन द्वारा बनाए जा रहे तीन पेट्रोल पंपों से होगी। यदि यह प्रयोग सफल रहता है, तो आगे चलकर अन्य संस्थानों में भी कैमरे की निगरानी में कैदियों को काम करने भेजा जाएगा।

कैसे होगी कैदियों की चयन प्रक्रिया?
इस योजना का लाभ केवल उन कैदियों को मिलेगा, जिनका चाल-चलन अच्छा होगा। इसके लिए महीनों की कड़ी स्क्रीनिंग की जाएगी और योग्य कैदियों के नाम उच्चस्तरीय कमेटी को भेजे जाएंगे। अंतिम मंजूरी मिलने के बाद ही उन्हें इस व्यवस्था का हिस्सा बनाया जाएगा।

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अवसाद से बचाने की पहल
गोरखपुर जेल में सजायाफ्ता कैदियों की संख्या अच्छी-खासी है। आमतौर पर, ऐसे कैदियों को केन्द्रीय जेल में रखा जाता है, लेकिन प्रशासनिक जरूरतों और कुछ कानूनी कारणों से कई सजायाफ्ता कैदी गोरखपुर जेल में भी हैं।

कैदियों को उनकी सजा के दौरान सिर्फ पैरोल पर ही बाहर निकलने की अनुमति मिलती है, और पैरोल की अवधि पूरी करने के बाद उन्हें फिर से अपनी सजा काटनी होती है। लगातार जेल की चारदीवारी में कैद रहने से अवसाद का खतरा बढ़ जाता है। इसी कारण जेल प्रशासन ने यह योजना बनाई है, जिससे कैदियों को समाज के मुख्यधारा में लौटने का मौका मिलेगा।

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विदेशों में पहले से चलन में है यह व्यवस्था
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों में यह प्रथा पहले से ही लागू है, जहां कैदी सुबह जेल से बाहर काम पर जाते हैं और शाम को वापस लौटते हैं। गोरखपुर जेल भी इसी मॉडल पर काम करने की योजना बना रहा है।

कैसे होगा कैदियों का उपयोग?
फिलहाल, गोरखपुर जेल प्रशासन कैदियों को अपने फार्म हाउस में ले जाकर खेती करवाता है और जेल परिसर में ही विभिन्न कार्यों में उन्हें लगाया जाता है। लेकिन अब तीन पेट्रोल पंप खोले जा रहे हैं, जहां कैदियों को तेल भरने से लेकर अन्य कार्यों में लगाया जाएगा।

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कैदियों को कैमरे की कड़ी निगरानी में खुले वातावरण में काम करने का अवसर मिलेगा। वे दिनभर काम करने के बाद शाम को चेकिंग प्रक्रिया के तहत उसी तरह जेल में दाखिल होंगे, जैसे नए कैदियों को जेल में दाखिल किया जाता है।

सुधार और पुनर्वास की ओर कदम
यह योजना न केवल कैदियों को मानसिक तनाव से बचाएगी, बल्कि उन्हें स्वावलंबन और रोजगार के अवसर भी देगी। सफल होने पर इस मॉडल को अन्य जिलों की जेलों में भी लागू किया जा सकता है।

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