गोरखपुर: बिना स्वीकृत मानचित्र बनी मस्जिद होगी ध्वस्त, जीडीए का आदेश – मंडलायुक्त की अदालत में आज सुनवाई

मुकेश कुमार संवाददाता गोरखपुर। गोरखपुर में घोष कंपनी चौक (चैनपुर-मेवातीपुर) के पास नगर निगम की भूमि पर बनी तीन मंजिला मस्जिद पर ध्वस्तीकरण की तलवार लटक रही है। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने इसे अवैध करार देते हुए ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया है। 15 फरवरी को मस्जिद के दिवंगत मुतवल्ली के पुत्र शुएब अहमद के नाम नोटिस जारी कर निर्देश दिया गया कि 15 दिनों के भीतर अवैध निर्माण को स्वयं ध्वस्त कर लिया जाए, अन्यथा प्राधिकरण खुद कार्रवाई करेगा और ध्वस्तीकरण पर आने वाला खर्च भी संबंधित पक्ष से वसूला जाएगा।

कैसे हुआ विवाद?

नगर निगम की 46 डिस्मिल 09 कड़ी भूमि पर पिछले वर्ष मस्जिद का निर्माण किया गया था। हालांकि, गोरखपुर विकास प्राधिकरण से इस निर्माण के लिए मानचित्र स्वीकृत नहीं लिया गया था। क्षेत्रीय अवर अभियंता द्वारा मौके पर निरीक्षण के दौरान जब मानचित्र मांगा गया, तो मस्जिद के मुतवल्ली इसे प्रस्तुत नहीं कर सके।

इसके बाद 15 मई 2024 को जीडीए के पीठासीन अधिकारी ने इस मामले में वाद दायर करते हुए निर्माणकर्ता को नोटिस जारी किया और 30 मई तक कार्यालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने का अवसर दिया। लेकिन, नियत तिथि पर कोई उपस्थिति नहीं हुई। इसके बाद जीडीए ने 4 फरवरी 2025 और 15 फरवरी 2025 को भी सुनवाई की तिथि निर्धारित कर संबंधित पक्ष को नोटिस भेजा। बावजूद इसके, कोई अभिलेख या स्वीकृत मानचित्र प्रस्तुत नहीं किया गया। इसके बाद जीडीए ने 15 फरवरी 2025 को शुएब अहमद के खिलाफ ध्वस्तीकरण आदेश पारित कर दिया।

मस्जिद पक्षकार की दलीलें

मस्जिद के दिवंगत मुतवल्ली सुहेल अहमद के पुत्र शुएब अहमद ने कहा कि 15 फरवरी को जीडीए में सुनवाई के दौरान वे उपस्थित होकर अपना पक्ष रख चुके हैं। इसके पहले 14 फरवरी को भी डाक के माध्यम से लिखित जवाब भेजा गया था।

शुएब अहमद का दावा है कि
– 1967 में न्यायालय की डिक्री के तहत यह भूमि मस्जिद को प्रदान की गई थी।
– नगर निगम बोर्ड की सहमति से यह भूमि मस्जिद निर्माण के लिए आवंटित की गई थी।
– 60 वर्ग मीटर तक के निर्माण के लिए नक्शा पास कराना अनिवार्य नहीं होता।
– नगर निगम के प्रस्ताव पर सदन ने मस्जिद के लिए 24×26 फुट भूमि स्वीकृत की थी।

जीडीए का रुख सख्त

गोरखपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष आनंद वर्धन ने कहा कि
– अवैध निर्माण की पुष्टि के बाद तीन बार नोटिस जारी किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
– मस्जिद के निर्माण के दौरान भी मौके पर मानचित्र मांगा गया था, लेकिन प्रस्तुत नहीं किया गया।
– अगर निर्धारित 15 दिनों के भीतर मस्जिद को खुद ध्वस्त नहीं किया गया, तो जीडीए कार्रवाई करेगा और पूरा खर्च संबंधित पक्ष से वसूला जाएगा।

मंडलायुक्त की अदालत में सुनवाई आज

गोरखपुर विकास प्राधिकरण के ध्वस्तीकरण आदेश के खिलाफ मस्जिद पक्ष ने मंडलायुक्त की अदालत में अपील दायर की है। इस मामले में आज सुनवाई होगी। जीडीए ने अपनी दलीलें तैयार कर ली हैं और किसी भी स्थिति के लिए पूरी तैयारी कर ली है।

नगर निगम की भूमिका और मस्जिद निर्माण की पृष्ठभूमि

घोष कंपनी चौक (चैनपुर-मेवातीपुर) के पास नगर निगम की 46 डिस्मिल 09 कड़ी भूमि पर पिछले पांच दशकों से कब्जा था।

25 जनवरी 2024 को अपर नगर आयुक्त निरंकार सिंह की अगुवाई में ध्वस्तीकरण अभियान चलाकर यह जमीन कब्जामुक्त कराई गई थी। उस समय यहां भूतल तक बनी पुरानी जीर्ण-शीर्ण मस्जिद थी। तत्कालीन मुतवल्ली सुहेल अहमद समेत कई लोगों ने इसे हटाने का विरोध किया था।

लोगों की मांग पर नगर निगम ने मस्जिद निर्माण के लिए करीब 60 वर्ग मीटर भूमि आवंटित करने का प्रस्ताव पास किया था। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने नगर निगम की छठी बैठक में स्वयं यह प्रस्ताव रखा, जिसके आधार पर मौजा चैनपुर उर्फ मेवातीपुर में 24×26 फुट भूमि मस्जिद को दिए जाने की स्वीकृति नगर निगम के सदन द्वारा दी गई।

आगे क्या होगा?

– ध्वस्तीकरण का आदेश: मस्जिद को गिराने का नोटिस जारी
– मस्जिद पक्ष की अपील: मंडलायुक्त की अदालत में मामला लंबित
– जीडीए की सख्ती: 15 दिनों के भीतर नहीं गिराने पर प्रशासन खुद गिराएगा
– नगर निगम की भूमिका: सदन की सहमति से मस्जिद को दी गई थी भूमि

अब देखना यह होगा कि मंडलायुक्त की अदालत में मस्जिद पक्ष की अपील पर क्या निर्णय होता है और गोरखपुर विकास प्राधिकरण इस आदेश को लागू करने के लिए आगे क्या कदम उठाता है।
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