हाथरस केस: चार्जशीट में पुलिस ने कहा- पत्रकार सिद्दीकी ने रची दंगों की साजिश, PFI सदस्य रऊफ शरीफ कर रहा था हिंसा की फंडिंग के लिए काम

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में दलित लड़की के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले (Hathars case) में दंगों की साजिश रचने के आरोपी में यूपी पुलिस ने केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन (Journalist Siddiqui Kappan) पर यूएपीए (UAPA) के तहत चार्जशीट दायर की है। यूपी एसटीएफ की एक टीम दंगों की साजिश की जांच कर रही थी, जिसको लेकर अब टीम ने मथुरा कोर्ट में यूएपीए के तहत एक चार्जशीट फाइल की है। इस चार्जशीट में पीएफआई (PFI) और उससे जुड़े संगठन के 8 आरोपियों सिद्दीकी कप्पन, अतीकुर्रहमान, मसूद अहमद, रऊफ शरीफ (Rauf Sharif), अंसद बदरूद्दीन, फिरोज, दानिश का नाम शामिल है। मामले की अगली सुनवाई 1 मई 2021 को होनी है।


जानकारी के अनुसार, 5000 पेज की चार्जशीट में यूपी एसटीएफ ने हाथरस में दंगों की साजिश का खुलासा किया है। चार्जशीट के मुताबिक, मथुरा से गिरफ्तार सिद्दीकी कप्पन, दंगों का थिंक टैंक और पीएफआई के स्टूडेंट विंग का सदस्य रउफ शरीफ दंगों की साजिश और फंडिंग में शामिल था। चार्जशीट में कहा गया है कि गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी हाथरस में दंगा भड़काना चाहते थे और इसकी साजिश रच रहे थे।


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चार्जशीट के मुताबिक, सिद्दीकी कप्पन ने ही दंगों की साजिश रची थी और पीएफआई सदस्य रउफ शरीफ इन दंगों की फंडिंग के लिए काम कर रहा था। चार्जशीट में पीएफआई के सदस्यों पर मस्कट और दोहा में वित्तीय संस्थानों से 80 लाख रुपए की धनराशि प्राप्त करने का आरोप लगाया गया है।


इसके अलावा एसटीएफ ने आरोप पत्र में कहा है कि पीएफआई की केरल शाखा के कमांडर अंसद बदरुद्दीन और उसका साथी फिरोज खान देश भर में भ्रमण करके संगठन के युवकों को फिजिकल एजुकेशन के नाम पर विस्फोटक सामग्री बनाने, उसके इस्तेमाल करने के साथ चाकू, तलवार और पिस्टल चलाने का भी प्रशिक्षण देता था। एसटीएफ ने इनको आतंकी गिरोह का सदस्य बताते हुए सांप्रदायिक और वर्ग संघर्ष के दौरान हिंसा कराने के भी आरोप लगाए हैं।


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प्रवर्तन निदेशालय ने 12 दिसंबर 2020 को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के युवा नेता रऊफ शरीफ को हिरासत में लिया था। रऊफ देश छोड़कर भागने की फिराक में था, लेकिन ईडी ने समय रहते कार्रवाई की और उसे धर दबोचा। रऊफ शरीफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में वांछित था। आरोप था कि रऊफ शरीफ के खाते में ओमान और कतर से दो करोड़ रुपए आए थे।


आरोप यह भी था कि इन पैसों का प्रयोग असामाजिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा था। शरीफ से पूछताछ के लिए जाँच एजेंसियों ने उसे नोटिस भी जारी किए थे लेकिन जाँच एजेंसियों के नोटिसों से खुद को बचा रहा था। वह कोरोना महामारी का बहाना बनाकर काफी समय से छिपा हुआ था।


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