अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस: जागरूकता और सही इलाज से बदल सकती है जिंदगी

International Epilepsy Day: 10 फरवरी को हर साल अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है। यह दिन मिर्गी के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके लक्षणों, कारणों और उपचार के महत्व को समझाने के लिए समर्पित है। मिर्गी, जो एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या है, भारत में करीब 1.5 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि सही समय पर इलाज और देखभाल से मिर्गी के मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं।

मिर्गी: क्या है यह और इसके कारण?

मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें दिमाग की असामान्य विद्युत गतिविधियों के कारण बार-बार दौरे पड़ते हैं। इसके मुख्य कारण निम्न हो सकते हैं:

  • अनुवांशिक कारक: यदि परिवार में पहले किसी को मिर्गी रही हो, तो यह आनुवंशिक रूप से आगे बढ़ सकती है।
  • जन्म दोष और ऑक्सीजन की कमी: जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी या कोई अन्य जन्म दोष मिर्गी का कारण बन सकता है।
  • सिर की चोट और ब्रेन इंफेक्शन: सिर पर लगी गंभीर चोट या मस्तिष्क संक्रमण भी मिर्गी का कारण बन सकते हैं।
  • स्ट्रोक और ब्रेन ट्यूमर: स्ट्रोक या मस्तिष्क में ट्यूमर की स्थिति में भी मिर्गी हो सकती है।

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मिर्गी के लक्षण: कैसे करें पहचान?

मिर्गी का सही समय पर इलाज तभी संभव है जब इसके लक्षणों को पहचाना जाए। इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं:

  • शरीर के एक हिस्से या पूरे शरीर में झटके और मरोड़ पड़ना।
  • बिना पलक झपकाए एकटक देखना।
  • अचानक अप्राकृतिक व्यवहार, जैसे बेहोशी या विचित्र हरकतें।

सावधानी और उपचार है जरूरी

यदि आपके किसी परिवार के सदस्य या मित्र में ये लक्षण नजर आएं, तो इसे नजरअंदाज न करें। किसी न्यूरोलॉजिस्ट से तुरंत संपर्क करें ताकि सही समय पर इलाज शुरू हो सके। मिर्गी को नियंत्रित करने के लिए दवाओं के साथ नियमित जांच और सही देखभाल आवश्यक है।

समाज में जागरूकता का महत्व

मिर्गी से जुड़े मिथकों और गलतफहमियों को दूर करने के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है। यह बीमारी छुआछूत या किसी दैविक शक्ति से जुड़ी नहीं है। मिर्गी के मरीज भी सही इलाज के जरिए अपनी जिंदगी को सामान्य और खुशहाल बना सकते हैं।

उद्देश्य

अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस का उद्देश्य इस बीमारी के प्रति समाज में संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाना है। सही जानकारी और समय पर उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

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