भोजपुरी के वटवृक्ष जैसे थे जुगानी भाई:विकाश श्रीवास्तव

मुकेश कुमार संवाददाता गोरखपुर। भोजपुरी के वटवृक्ष जैसे थे रवीन्द्र श्रीवास्तव जिन्हें प्यार से जुगानी भाई के नाम से भी जाना जाता है । उन्होंने भोजपुरी भाषा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उक्त बातें गोरखपुरिया भोजपुरिया समूह द्वारा स्थानीय पंत पार्क में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बोलते हुए समूह के संस्थापक विकाश श्रीवास्तव ने कही । उन्होंने कहा कि हम सब का सौभाग्य है कि लंबे समय तक उनका सानिध्य और मार्गदर्शन हमे मिला । आकाशवाणी से जुड़े अपने संस्मरण सुनाते हुए उद्घोषक और वरिष्ठ पत्रकार नवीन पांडेय ने कहा कि जुगानी भाई के कद को छू पाना किसी के बस की बात नहीं । वे संपूर्ण आकाश थे । कवि अजय यादव ने उनके संस्मरण में लिखी अपनी कविता ” चल गइल चिरई खोतवा के छोडि के । अपने सनेहिया के डोरवा के तोडि के ” का पाठ करते हुए उन्हें याद किया । कवयित्री चेतना पाण्डेय के उनकी रचनाओं के माध्यम से उनको याद करते हुए उनके सरल और विराट व्यक्तित्व की चर्चा की । डॉ ए के पाण्डेय ने इस अवसर पर अपने छात्र जीवन में उनकी प्रसिद्धि और कविता के मंचों पर उनके लिए लोगों में पागलपन का जिक्र करते हुए पुराने दिनों की याद ताज़ा कर दी ।। समूह के सह संस्थापक नरेंद्र मिश्र ने कहा कि वे भोजपुरी के इनसाइक्लोपीडिया थे । भोजपुरी और गोरखपुरियत पर उनसे घंटों बात की जा सकती थी । उन्होंने उनके साथ आकाशवाणी , फिराक और भोजपुरी भाषा के विषय पर लिए गए इंटरव्यू की चर्चा करते हुए बताया कि यह थीं घंटों की बातचीत आने वाले समय में भोजपुरी भाषियों और अगली पीढ़ी के लिए एक दस्तावेज है जो यू ट्यूब पर उपलब्ध है । अंतरराष्ट्रीय लोक गायक राकेश उपाध्याय ने भी उन्हें याद करते हुए उनके गीत को गाकर उन्हें संगीतमय श्रद्धांजलि अर्पित की श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ खेल पत्रकार संजय वर्मा , रूपल त्रिपाठी , मांडवी तिवारी , अभिषेक त्रिपाठी , सुनिशा श्रीवास्तव ने भी अपने विचार रखे । इस अवसर पर विजय मिश्रा , राहुल मिश्रा , रीता मिश्रा , एडवोकेट राकेश मिश्रा , सुधांशु त्रिपाठी , अनुज श्रीवास्तव , रसिक अग्रहरि , अली , सागर श्रीवास्तव , शिव कुमार मल्ल सहित ढेर सारे भोजपुरिया उपस्थित थे ।
Also Read पुस्तक”औरंगाबाद (गोरखपुर) गांव की माटी कला” का लोकार्पण समारोह