कुरान के अनुसार मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ने वालों के घरों में आग लगा दी जाय

हेलाल कमेटी के कंविनर और बाबरी के पक्षकार खालिक अहमद खान ने कहा कि यह कहना अनुचित है कि नमाज के लिए मस्जिद आवश्यक नहीं है। खालिक अहमद खान का मानना है कि कोर्ट के ताजा फैसले की मीडिया और हिंदू पक्ष गलत व्याख्या कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि ताजा फैसला उस बुनियाद को मजबूत करने वाला है, जिस बुनियाद पर मुस्लिम बाबरी की लड़ाई लड़ रहे हैं।

 

खालिक ने कहा – मस्जिद में नमाज न पढऩे वाले के घरों में आग लगा दी जाय

 

खालिक के मुताबिक, कोर्ट के ताजा फैसले से यह स्पष्ट हुआ है कि जन्मभूमि विवाद की सुनवाई धार्मिक भावना के आधार पर नहीं बल्कि जमीनी विवाद के तौर पर होगी। उन्होंने कुरान हदीस का उदाहरण देते हुए कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है लेकिन जहां मस्जिद हो, वहां मस्जिद में ही नमाज पढ़ी जानी चाहिए।

 

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खालिक का कहना है कि कुरान में तो यहां तक कहा गया है कि जहां मस्जिद हो,  वहां मस्जिद में नमाज न पढ़ने वाले के घरों में आग लगा दी जाय।

 

मस्जिद अल्लाह का घर

 

बाबरी के पक्षकार खालिक अहमद खान ने कहा कि रसूल-ए-पाक ने मदीना में सबसे पहले मस्जिद की तामीर कराई और इस्लामिक कानून तथा कुरान से यह भी साबित है कि समान्य जगह की अपेक्षा मस्जिद में नमाज पढऩा कहीं अधिक पुण्यदायी है। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाजी महबूब ने भी ऐसा ही संकेत दिया।

 

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सुप्रीम कोर्ट के ताजा निर्णय पर टिप्पणी करने से इंकार करते हुए उन्होंने एक ओर मस्जिद को अल्लाह का घर बताया, दूसरी ओर कहा कि ताजा निर्णय से मंदिर- मस्जिद के मूल विवाद पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

 

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