लंबे समय से जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे सपा अध्यक्ष और तीन बार सीएम रहे मुलायम सिंह यादव का मेदांता अस्पताल में निधन हो गया. उनके निधन के समय अस्पताल में उनके परिवार के सभी सदस्य मौजूद थे. इस खबर के आते ही समाजवादी पार्टी में शोक की लहर दौड़ गई. मुलायम सिंह यादव के जीवन से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं, जिनके बारे में लोग जानना चाहते हैं. इन्हीं में शामिल हैं उनकी बेहद अनोखी लव स्टोरी. क्या आप जानते हैं कि उनकी पत्नी साधना गुप्ता, जिनका निधन कुछ ही दिन पहले हुआ वो सपा की ही कार्यकर्ता थीं. जी हां, मुलायम सिंह यादव अपनी पार्टी की कार्यकर्ता को दिल दे बैठे और यहां से शुरू हुई एक प्रेम कहानी.
कब हुआ था मुलायम सिंह यादव का जन्म
मुलायम सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई में 22 नवम्बर, 1939 को हुआ था. इनके पिता का नाम सुघर सिंह और माता का नाम मूर्ति देवी है. मुलायम सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (एम.ए) एवं जैन इन्टर कालेज करहल (मैनपुरी) से बी0 टी0 सी की शिक्षा हासिल की और फिर एक इन्टर कालेज में अध्यापन कार्य शुरू किया.
कहते हैं मुलायम सिंह का राजनीतिक सितारा जब बुलंदियों पर था तो साधना गुप्ता उनकी जिंदगी में आई थी. दोनों की मुलाकात 1982 मेंं उस दौरान हुई जब मुलायम लोकदल के अध्यक्ष बने थे. उस वक्त साधना पार्टी में महज एक कार्यकर्ता के बतौर काम कर रही थी. बेहद खूबसूरत और तीखे नैन-नक्श वाली साधना पर जब मुलायम की नजर पड़ी तो वह भी बस उन्हें देखते रह गए. अपनी उम्र से 20 साल छोटी साधना को पहली ही नजर में मुलायम दिल दे बैठे थे. साधना गुप्ता यूपी के इटावा के बिधुना तहसील की रहनेवाली हैं. 4 जुलाई 1986 में उनकी शादी फर्रुखाबाद के चंद्रप्रकाश गुप्ता से शादी हुई थी. तो इस तरह मुलायम भी पहले से शादीशुदा थे और साधना भी.
वहीं अखिलेश यादव की बायोग्राफी ‘बदलाव की लहर’ में मुलायम और साधना के रिश्ते का जिक्र हैं. एक न्यूज वेबसाइट के मुताबिक, मुलायम की मां मूर्ती देवी अक्सर बीमार रहती थीं. साधना गुप्ता ने लखनऊ के एक नर्सिंग होम और इसके बाद में सैफई मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मूर्ति देवी की देखभाल की थी. एक बार मेडिकल कॉलेज में एक नर्स मूर्ति देवी को गलत इंजेक्शन लगाने जा रही थी. उस समय वहां मौजूद साधना ने नर्स को रोक दिया. उस वक्त साधना की वजह से मुलायम की मां मूर्ति देवी की जान बची गई थी. इस बात से मुलायम काफी प्रभावित हुए थे. यही से दोनों एक-दूसरे के नजदीक आए थे. बताया जाता है कि 1994 में प्रतीक यादव के स्कूल फॉर्म में पिता के नाम पर एमएस यादव और पते की जगह मुलायम सिंह यादव के ऑफिस का एड्रेस दिया हुआ था. यह भी कहा जाता है कि साल 2000 में प्रतीक के अभिभावक के रूप में मुलायम का नाम दर्ज हुआ था.
कहते हैं 80 के दशक में साधना और मुलायम की प्रेम कहानी की भनक अमर सिंह के अलावा और किसी को नहीं थी. इसी दौरान 7 जुलाई 1987 को साधना ने एक पुत्र प्रतीक को जन्म दिया. कहते हैं कि साधना गुप्ता के साथ प्रेम संबंध की भनक मुलायम की पहली पत्नी और अखिलेश की मां मालती देवी को लग गई. इसी बीच सन 1990 में साधना ने पहले पति से औपचारिक तलाक ले लिया. मालती देवी के निधन के बाद साधना ने मुलायम पर उन्हें अपनी आधिकारिक पत्नी घोषित करने का दबाव बनाया, लेकिन पारिवारिक ख़ासकर अखिलेश यादव के चलते मुलायम इस रिश्ते को नाम देने से पीछे हटते रहे.
वहीं नब्बे के दशक में जब मुलायम मुख्यमंत्री बने तो धीरे-धीरे बात फैलने लगी कि उनकी दो पत्नियां हैं लेकिन किसी की मुंह खोलने की हिम्मत ही नहीं पड़ती थी. इसके बाद 90 के दशक के अंतिम दौर में अखिलेश को साधना गुप्ता और प्रतीक गुप्ता के बारे में पता चला. कहते हैं कि उस समय मुलायम साधना गुप्ता की हर बात मानते थे.
साल 2003 में अखिलेश की मां मालती देवी की बीमारी से निधन हो गया और मुलायम का सारा ध्यान साधना गुप्ता पर आ गया. हालांकि, मुलायम अब भी इस रिश्ते को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं थे. मुलायम और साधना के संबंध की जानकारी मुलायम परिवार के अलावा अमर सिंह को थी. मालती देवी के निधन के बाद साधना चाहने लगी कि मुलायम उन्हें अपना आधिकारिक पत्नी मान लें, लेकिन पारिवारिक दबाव, ख़ासकर अखिलेश यादव के चलते मुलायम इस रिश्ते को कोई नाम नहीं देना चाहते थे.
2006 में साधना अमर सिंह से मिलने लगीं और उनसे आग्रह करने लगीं कि वह नेताजी को मनाएं. अमर सिंह नेताजी को साधना गुप्ता और प्रतीक गुप्ता को अपनाने के लिए मनाने लगे. साल 2007 में अमर सिंह ने सार्वजनिक मंच से मुलायम से साधना को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का आग्रह किया और इस बार मुलायम उनकी बात मानने के लिए तैयार हो गए लेकिन अखिलेश इसके लिए कतई तैयार नहीं थे. इसके बावजूद मुलायम सिंह यादव ने 23 मई 2003 को मुलायम ने साधना गुप्ता से शादी कर उन्हें अपनी पत्नी का दर्जा दिया.
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