चीन का हाथ थामकर नेपाल ने पुराने दोस्त भारत को दिया झटका

नेपाल ने अपने सबसे पुराने दोस्त से कन्नी काटते हुए चीन को गले लगाने का फैसला कर लिया है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि नेपाल को भारत में होने वाले बिम्सटेक देशों के सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेना था। नेपाल (Nepal) और भारत की सेना साथ मिलकर यह सैन्य अभ्यास करने वाली थी। लेकिन नेपाल ने पिछले दिनों ही भारत को बड़ा झटका देते हुए भारत के साथ यह सैन्य अभ्यास करने से सीधे तौर पर मना कर दिया है। साथ ही उसने स्पष्ट कर दिया है कि वह अब चीन के साथ सैन्य अभ्यास करेगा।

 

राजनीतिक मनमुटाव ने बदला फैसला

 

जानकारी के मुताबिक, भारत के पुणे में अगले कुछ दिनों में बिम्सटेक देशों का संयुक्त सैन्य अभ्यास होना है। पहले नेपाल इसमें भारत की सेना के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास करने के लिए तैयार था लेकिन राजनीतिक विवाद की वजह से नेपाली सेना ने ऐसा करने से मना कर दिया है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ दिन बाद ही नेपाल और चीन की सेनाएं 12 दिनों तक संयुक्त अभ्यास करेंगी।

 

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नेपाली सेना के प्रवक्ता गोकुल भंडारी के मुताबिक, चीन के साथ नेपाल का यह दूसरा सैन्य अभ्यास है, जो कि चेंगडू में 17 से 28 सिंतबर तक चलेगा। उन्होंने बताया कि चीन के साथ नेपाल की सेना के इस संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य आतंक विरोधी अभियान का प्रयास करना है। खबरों की मानें तो नेपाल सरकार बिम्सटेक के अंदर रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए भारत के प्रयासों से संतुष्ट नहीं है।

 

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ने किया मना

 

खबरों के मुताबिक, बिम्सटेक देशों के सैन्य अभ्यास में नेपाली सेना के शामिल होने को लेकर देश में राजनीतिक विवाद पैदा हो गया था, जिसके बाद यह फैसला किया गया। पीएम केपी शर्मी ओली ने राष्ट्रीय रक्षा बल से कहा कि वह अभ्यास में हिस्सा नहीं लें। यही वजह है कि नेपाली सैन्य नेतृ्त्व को भारत की पहल पर बनाए गए क्षेत्रीय समूह बिम्सटेक के पहले सैन्य अभ्यास से अपने कदम पीछे खींचने पड़े।

 

एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया था कि उन्हें कोई औपचारिक निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है, लेकिन 30 सदस्यीय दस्ते को रवाना होने से रोक दिया गया. उन्होंने कहा कि अभ्यास की तैयारियों के सिलसिले में पहले ही पुणे पहुंच चुके तीन सैन्य अधिकारी भी जल्द ही लौटेंगे।

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