प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बस्ती में सांसद खेल महाकुंभ (Sansad Khel Mahakumbh) 2022-23 के दूसरे चरण का उद्घाटन किए। वर्चुअली उद्घाटन के दौरान उन्होंने खो-खो खेल देखा। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) भी मौजूद रहे।
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि खेल महाकुंभ स्थानीय खिलाड़ियों को उड़ान भरने के नए अवसर देगा। उन्होंने कहा कि मैं काशी से सांसद हूं। वहां भी इस तरह के खेल आयोजनों का सिलसिला शुरू हो गया है। कई जगहों पर इस तरह के खेल महाकुंभ का आयोजन कर सांसद खेल आयोजन कर नई पीढ़ी के भविष्य निर्माण का काम कर रहे हैं। इस तरह के आयोजन एथलीटों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जनपद बस्ती में आयोजित सांसद खेल महाकुंभ (द्वितीय चरण) के उद्घाटन के अवसर पर… https://t.co/SS9UHOMYJH
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) January 18, 2023
प्रधानमंत्री ने कहा कि सांसद खेल महाकुंभ में अच्छा प्रदर्शन करने वाले युवा एथलीटों को भारतीय खेल प्राधिकरण के प्रशिक्षण केंद्रों में आगे के प्रशिक्षण के लिए चुना जा रहा है जिससे देश की युवा शक्ति को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि खेलों में इस तरह के आयोजन एथलीटों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
उन्होंने कहा कि इस महाकुंभ में करीब 40 हजार से ज्यादा युवा हिस्सा ले रहे हैं। संसद खेल महाकुंभ की एक और विशेषता है कि इसमें हमारी बेटियां बड़ी संख्या में भाग ले रही हैं। मुझे विश्वास है कि बस्ती, पूर्वाचल, यूपी और देश की बेटियां इसी तरह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपना दमखम दिखाएंगी।
प्रधानमंत्री ने भारतीय महिला टीम की सलामी बल्लेबाज शैफाली वर्मा की तारीफ करते हुए कहा कि कुछ दिन पहले, हमने देखा कि कैसे शेफाली वर्मा ने महिला अंडर-19 टी-20 विश्व कप में शानदार प्रदर्शन किया। शेफाली ने ओवर की आखिरी गेंद पर लगातार पांच चौके और एक छक्का लगाकर एक ओवर में 26 रन बटोरे। ऐसी प्रतिभा भारत के कोने-कोने में बसती है।
Also Read: योगी की वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज योजना का असर, यूपी में स्वास्थ्य सेवाएं हुई बेहतर
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि एक समय था जब खेल को एक्स्ट्रा-कर्रिकुलर एक्टिविटी माना जाता था। उन्होंने आगे कहा कि इसे शिक्षा से अलग माना जाता था, केवल समय व्यतीत करने का एक तरीका। बच्चों को वही पढ़ाया जाता था। इसलिए, पीढ़ी दर पीढ़ी समाज में एक मानसिकता विकसित हुई कि खेल इतना महत्वपूर्ण नहीं है। इस मानसिकता से देश को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। असंख्य युवा और बेहिसाब प्रतिभाएं मैदान से दूर रहीं। पिछले 8-9 सालों में देश ने इस पुरानी मानसिकता को पीछे छोड़ा है और खेलों के लिए बेहतर माहौल बनाने का काम किया है।
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )