मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर। जिले की पुलिस की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। ताजा मामला खजनी थाना क्षेत्र का है, जहां 15 साल पहले मर चुके व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया। पुलिस की इस कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। यह पहली बार नहीं है जब पुलिस ने मृतक को आरोपी बनाया हो। इससे पहले गगहा, गोला और शाहपुर थानों में भी मृतकों पर मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।
खजनी पुलिस का कारनामा: 15 साल पहले मृत व्यक्ति पर केस
खजनी थाना क्षेत्र के बरी बंदुआरी के भिटनी गांव में जमीन विवाद को लेकर राजाराम, कर्मबीर, श्याम सुंदर यादव और राज नारायण के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया कि श्याम सुंदर यादव की मृत्यु 28 दिसंबर 2010 को हो चुकी थी। इसके बावजूद, पुलिस ने बिना किसी तफ्तीश के उन्हें आरोपित बना दिया। पुलिस के इस रवैये पर स्थानीय लोगों और कानूनी विशेषज्ञों ने सवाल खड़े किए हैं।
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गोला पुलिस ने दो साल पहले मृतक पर लगाया था गैंगस्टर
मई 2021 में गोला थाने के तत्कालीन थानेदार संतोष सिंह ने भी इसी तरह की गलती की थी। उन्होंने राजेश यादव, मनीष यादव और राहुल यादव के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत रिपोर्ट भेजी थी। जब पुलिस राजेश यादव को गिरफ्तार करने गई, तब पता चला कि उसकी हत्या 2019 में देवरिया में हो चुकी थी। इस मामले ने पुलिस प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया था।
शाहपुर पुलिस का मामला: मृतक को बनाया अपराधी
शाहपुर मोहल्ला छोटी मस्जिद निवासी इमरान अंसारी पर 28 अक्टूबर 2023 को शाहपुर पुलिस ने गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज किया। जब पुलिस उसे गिरफ्तार करने पहुंची तो परिजनों ने बताया कि इमरान की मृत्यु 27 अक्टूबर 2022 को एक सड़क दुर्घटना में हो चुकी थी। इसके बावजूद पुलिस ने बिना सत्यापन के मुकदमा दर्ज कर लिया था।
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गगहा में भी हुआ था ऐसा मामला
गगहा थाना क्षेत्र में छह साल पहले मर चुकी महिला केवला देवी पर केस दर्ज कर दिया गया था। विद्युत उपकेंद्र के जेई ने शिकायत दी थी कि टिकुली बनारस में सरकारी बिजली के पोल पर कब्जा किया गया है। इस मामले में केवला देवी को भी आरोपी बना दिया गया, जबकि उनकी मृत्यु 13 जनवरी 2019 को हो चुकी थी।
पुलिस की सफाई और लोगों की प्रतिक्रिया
एसपी साउथ जितेन्द्र कुमार ने बताया कि “तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया था। विवेचना के दौरान मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने पर मृतक का नाम निकाल दिया जाएगा।” हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस को बिना जांच किए मुकदमा दर्ज नहीं करना चाहिए। स्थानीय लोगों ने इस मामले में पुलिस की लापरवाही पर नाराजगी जताई है और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
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सवाल जो पुलिस से पूछे जाने चाहिए
1. क्या मुकदमा दर्ज करने से पहले पुलिस को आरोपियों की तस्दीक नहीं करनी चाहिए?
2. लगातार ऐसी गलतियां होने के बावजूद अब तक कोई सुधार क्यों नहीं हुआ?
3. क्या इस तरह की लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी?
पुलिस की इस कार्यशैली से न्याय प्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। क्या ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होगी, या फिर यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?
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