कोरोना की इस वैश्विक महामारी ने लाखों लोगों को मौत की नींद सुला दी है। इस महामारी में जहां कई लोगों ने अपने प्रियजनों और सगे संबंधियों को खोया है। वहीं, बहुत से लोगों को अस्पतालों में इलाज और ऑक्सीजन के अभाव में अपनी आंखों से सामने दम तोड़ते हुए भी देखा है। इस मंजर को देखने के बाद कई लोग पूरी तरह टूट जाते हैं और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। लेकिन, यूपी के प्रयागराज (Prayagraj) जिले में एक ऐसा भी पुलिस अधिकारी है, जिसने कोरोना की वजह से अपनी पत्नी और सगी भाभी को खोने के बाद भी अपना फर्ज निभा रहे हैं।
इस पुलिस अधिकारी की इन दिनों प्रयागराज में काफी चर्चा है। उन्होंने अपनी पत्नी और भाभी का अंतिम संस्कार तो कर दिया है लेकिन त्रयोदशी संस्कार का कार्यक्रम 2 महीने तक के लिए स्थगित कर दिया है। वह 6 दिन में ही बच्चों की आंखों के आंसू पोछते हुए खाकी का फर्ज निबाने अपनी ड्यूटी पर भी वापस लौट आए हैं। उनके इस हौसले को देखकर पुलिस के आला अफसर बेहद भावुक हैं, लेकिन उनके इस कदम की जमकर सराहना भी कर रहे हैं।
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जानकारी के अनुसार, प्रयागराज जिले की कोतवाली में इंस्पेक्टर नरेंद्र प्रसाद (Inspector Narendra Prasad) मूल रूप से मऊ जिले के रहने वाले हैं। नरेंद्र प्रसाद 1998 में यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर चयनित हुए थे। 23 सालों की नौकरी में उन्होंने कई जिलों में अपनी सेवाएं दी। पिछले 2 साल से प्रयागराज जिले में तैनाती के दौरान कई थानों में तैनात रहे, लेकिन कोरोना की इस महामारी में उनपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
नरेंद्र प्रसाद की पत्नी मालती देवी और भाभी उर्मिला देवी दोनों कोरोना की चपेट में आ गईं थीं, जिसके बाद ऑक्सीजन लेवल कम होने पर उन्होंने दोनों को एसआरएन अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया। इलाज के दौरान 21 अप्रैल को इंस्पेक्टर नरेन्द्र प्रसाद की भाभी उर्मिला देवी की मौत हो गई। इंस्पेक्टर भाभी के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे कि अगले ही दिन 22 अप्रैल को उनकी पत्नी का भी निधन हो गया।
परिवार में 2-2 मौतों के बाद इंस्पेक्टर नरेंद्र प्रसाद पूरी तरह से टूट गए, लेकिन एक पुलिसकर्मी होने के नाते उन्होंने हिम्मत जुटाया। उन्होंने सबसे पहले भाभी और पत्नी का अंतिम संस्कार किया और फिर बच्चों को संभाला। उनका बड़ा बेटा चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ से एमएससी एग्रीकल्चर कर रहा है। वहीं छोटा बेटा आईआईटी खड़गपुर से माइनिंग में बीटेक कर रहा है। उन्होंने बच्चों को आगे पढ़ाई जारी रखने और कैरियर बनाने के लिए जहां समझाया।
वहीं, खुद वर्दी का फर्ज निभाने के लिए खुद को और मजबूत किया। नरेंद्र प्रसाद के लिए यह बेहद कठिन समय था, लेकिन उन्होंने त्रयोदशी संस्कार करने की जगह कोरोना के संक्रमण को देखते हुए क्रिया-कर्म को 2 महीने के लिए स्थगित कर दिया और 28 अप्रैल को ड्यूटी पर वापस लौट आए। उनका कहना है कि कोरोना की महामारी से वे अपनी पत्नी और भाभी को तो नहीं बचा सके। लेकिन हो सकता है कि ड्यूटी पर रहते हुए कुछ लोगों की मदद कर सकें ताकि लोगों की जान भी बचाई जा सके।
इंस्पेक्टर के मुताबिक, इस महामारी में पत्नी और भाभी समेत अपने छह करीबियों को खोया है इसलिए वे इस महामारी से हो रही मौतों के दर्द को भी बखूबी समझते हैं। उनके इस फैसले की पूरे जिले में खूब चर्चा हो रही है। वहीं, आईजी प्रयागराज रेंज केपी सिंह ने भी उनके इस जज्बे की सराहना की है।
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