भारत (India) और फ्रांस (France) ने सोमवार को दिल्ली में 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए 63,000 करोड़ रुपये के मेगा रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर किए है। भारतीय रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए, जबकि भारतीय नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल के स्वामीनाथन भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। फ्रांस के रक्षा मंत्री को भी हस्ताक्षर कार्यक्रम में शामिल होना था, लेकिन व्यक्तिगत कारणों से उन्होंने अपनी यात्रा रद्द कर दी।
जुलाई 2023 में मिली थी सौदे को प्रारंभिक मंजूरी
रक्षा मंत्रालय ने जुलाई 2023 में विचार-विमर्श और मूल्यांकन परीक्षणों के बाद इस मेगा अधिग्रहण को प्रारंभिक मंजूरी दी थी। इस सौदे के तहत भारतीय नौसेना को डसॉल्ट एविएशन से न केवल राफेल मरीन जेट मिलेंगे, बल्कि हथियार प्रणालियाँ, कलपुर्जे और अन्य सहायक उपकरण भी मिलेंगे।
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आईएनएस विक्रांत पर तैनात होंगे राफेल मरीन
राफेल एम जेट को भारत के स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा। ये नए विमान मौजूदा मिग-29 के लड़ाकू बेड़े का सहयोग करेंगे। भारतीय वायुसेना पहले से ही 2016 में खरीदे गए 36 राफेल विमानों का सफलतापूर्वक संचालन कर रही है, जो अंबाला और हासीमारा एयरबेस पर तैनात हैं। नए सौदे के बाद भारत के पास कुल 62 राफेल विमान हो जाएंगे, जिससे देश की 4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की क्षमता में भारी इजाफा होगा।
मिग-29 के बेड़े को हटाने की तैयारी
खराब प्रदर्शन और रखरखाव संबंधी समस्याओं के चलते भारतीय नौसेना अपने मौजूदा मिग-29 के लड़ाकू विमानों के बेड़े को चरणबद्ध तरीके से हटाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए नए राफेल मरीन विमानों की तत्काल आवश्यकता महसूस की गई।
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सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने दी थी मंजूरी
9 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति की बैठक में इस सौदे को अंतिम मंजूरी दी गई थी। सौदे में 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर राफेल मरीन जेट शामिल हैं। इसके अतिरिक्त बेड़े के रखरखाव, रसद सहायता, कर्मियों के प्रशिक्षण और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी व्यापक योजना बनाई गई है।
राफेल मरीन की खासियतें
- अद्भुत ऊंचाई क्षमता: राफेल मरीन एक मिनट में 18,000 मीटर की ऊंचाई तक पहुंच सकता है।
- दूसरे विमानों पर बढ़त: पाकिस्तान के एफ-16 और चीन के जे-20 विमानों की तुलना में राफेल मरीन ज्यादा उन्नत है।
- लंबी दूरी तक हमला: यह विमान 3,700 किलोमीटर दूर तक लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।
- विमानवाहक पोत के लिए डिजाइन: राफेल मरीन विशेष रूप से विमानवाहक युद्धपोत से संचालन के लिए तैयार किया गया है।
- रडार चकमा देने की क्षमता: यह विमान दुश्मन के रडार को धोखा देने में भी सक्षम है।
- कठोर परिस्थितियों में उड़ान: राफेल मरीन हिमालय जैसे ठंडे और कठिन वातावरण में भी प्रभावी ढंग से उड़ान भर सकता है।
- डिजाइन में खास बदलाव: राफेल मरीन का वजन लगभग 10,300 किलोग्राम है। इसके पंख (विंग्स) मुड़ सकते हैं, जो इसे सीमित स्थानों पर भी संचालित करने योग्य बनाते हैं।
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