गोरखपुर में 10 मई तक चलेगा विशेष टीकाकरण अभियान सीएमओ ने किया अभियान का शुभारंभ

मुकेश कुमार, ब्यूरो चीफ़ पुर्वांचल । सप्ताह के तहत जिले में गुरुवार से विशेष टीडी टीकाकरण अभियान शुरू हो गया। इसके तहत डिप्थीरिया (गलघोटू) और टिटनेस से बचाव के लिए 10 मई तक विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश झा ने अयोध्या दास गर्ल्स इंटर कॉलेज से गुरूवार को इस अभियान का शुभारंभ किया। इसके तहत 2962 स्कूलों में सत्र लगा कर छूटे हुए टीडी का टीका लगाया जाएगा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि कक्षा पांच में पढ़ने वाले दस वर्ष के विद्यार्थियों को टीडी दस और कक्षा दस में पढ़ने वाले सोलह वर्ष तक के किशोर किशोरियों को टीडी सोलह वैक्सीन लगाई जाएगी। विशेष टीकाकरण सत्र सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार को लगाए जाएंगे। इस दौरान 10 वर्ष तक के कक्षा पांच के 30213 बच्चों को और 16 वर्ष के कक्षा दस के 25549 किशोर किशोरियों को उनके स्कूल में टीके लगाए जाएंगे।

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इस अवसर पर सीएमओ ने छात्राओं को बताया कि नियमित टीकाकरण बारह प्रकार की जानलेवा बीमारियों से रक्षा करता है। इन बीमारियों में डिप्थीरिया (गलघोटू) और टिटनेस भी शामिल हैं। इनसे बचाव के लिए ही छूटे हुए बच्चों को उनके स्कूल और कॉलेज में टीका लगाया जा रहा है।

इस अवसर पर एसीएमओ डॉ एके चौधरी, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा, एमओआईसी डॉ अनुला गुप्ता, प्रधानाचार्य किरनमयी तिवारी, डीएचईआईओ केएन बरनवाल, सहायक शोध अधिकारी अजीत सिंह, डब्ल्यूएचओ एसएमओ डॉ विनय शंकर, यूनिसेफ के डीएमसी डॉ हसन फहीम, यूएनडीपी संस्था के प्रतिनिधि पवन सिंह, जेएसआई प्रतिनिधि और स्वास्थ्य विभाग के सहयोगी आदिल फखर प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।

लक्षण आए तो न घबराएं

सीएमओ ने बताया कि टीकाकरण के बाद कुछ बच्चों में बुखार और इंजेक्शन वाली जगह पर लालिमा या सूजन की दिक्कत हो सकती है । यह सामान्य प्रतिक्रिया है और इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। इससे बचाव के उपाय बताने के साथ साथ बुखार की दवा भी दी जाती है।

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जानलेवा है गलघोटू और टिटनेस

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ झा ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार डिप्थीरिया (गलघोटू) संक्रामक रोग है जो संक्रमित मरीज के सम्पर्क में आने के दो से पांच दिन में फैलता है। गले में खराश और बुखार के लक्षणों के साथ यह धीरे धीरे गंभीर रूप ले लेता है। इसके कारण सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है और ह्रदय की मांसपेशियों में सूजन और नुकसान, गुर्दे में समस्या और प्लेटलेट कम होने से खून निकलने लगता है। ह्रदय गति असामान्य हो सकती है और पक्षाघात की भी आशंका रहती है ।
मरीज के खांसने और छींकने के दौरान निकलने वाले श्वसन बूंदों से यह फैलता है। नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत मिलने वाली इसकी तीन खुराकों के साथ साथ बचपन और किशोरावस्था के दौरान तीन बूस्टर खुराक भी आवश्यक है। इसी प्रकार टिटनेस भी एक तीव्र संक्रामक रोग है, जो नवजात शिशुओं और गर्भवती के लिए ज्यादा गंभीर है । क्लोस्ट्रीडियम टेटानी नामक जीवाणु के बीजाणुओं के साथ इसका संक्रमण किसी कट या घाव के कारण होता है। इसके अधिकांश मामले संक्रमण के चौदह दिन के भीतर होते हैं। जो लोग टिटनेस से ठीक हो जाते हैं उनके दोबारा भी संक्रमित होने की आशंका रहती है और इसीलिए इसका टीकाकरण आवश्यक है।

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इसके संक्रमण के कारक बीजाणु पर्यावरण में हर जगह पाए जाते हैं और यह भी किसी आयु वर्ग में हो सकता है ।

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