मुकेश कुमार, ब्यूरो चीफ़ पूर्वांचल। ट्रॉमा एवं इमरजेंसी मेडिसिन विभाग, एम्स गोरखपुर ने रविवार को पहली बार गोरखपुर मंडल में अल्ट्रासाउंड की विशेष तकनीकों और बारीकियों को सिखाने हेतु एक वर्कशॉप का आयोजन किया। इस वर्कशॉप में बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर, बस्ती मेडिकल कॉलेज, देवरिया मेडिकल कॉलेज, सिद्धार्थनगर मेडिकल कॉलेज, आरएमएल लखनऊ सहित आसपास के जिलों के डॉक्टरों ने प्रतिभाग किया। आयोजन सचिव डॉ. सुहास मल ने बताया कि इस वर्कशॉप के लिए एसजीपीजीआई लखनऊ और केजीएमयू लखनऊ जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं के विशेषज्ञ फैकल्टीज को आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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आयोजन अध्यक्ष डॉ. अरविंद कुमार ने जानकारी दी कि वर्कशॉप में प्रारंभ में 30 प्रतिभागियों के लिए पंजीकरण प्रस्तावित था, किंतु डॉक्टरों के उत्साह को देखते हुए यह संख्या बढ़कर 55 हो गई। प्रतिभागियों के उत्साह को देखते हुए भविष्य में ऐसे और वर्कशॉप के आयोजन की योजना बनाई जा रही है।
वर्कशॉप की विशेषताएँ:
पहली बार इस प्रकार के आयोजन को उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल से क्रेडिट प्वाइंट प्राप्त हुआ।
कुल 55 डॉक्टरों ने पंजीकरण किया।
गोरखपुर मंडल के सभी जिलों के डॉक्टरों ने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया।
चर्चा किए गए विषयों में शामिल थे:
अल्ट्रासाउंड की मूल बातें (Basic USG)
वायुमार्ग (एयरवे) की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड
फेफड़ों और डायाफ्राम का अल्ट्रासाउंड
पेट की गैस्ट्रिक स्थिति का अल्ट्रासाउंड
नसों में सुई डालने के लिए अल्ट्रासाउंड गाइडेड तकनीक
सिर में दबाव जांचने के लिए ऑप्टिक नर्व का अल्ट्रासाउंड (ONSD)
हृदय की जाँच के लिए ईकोकार्डियोग्राफी
FAST, BLUE और RUSH प्रोटोकॉल का महत्व:
आपातकालीन स्थिति में तेजी से आंतरिक रक्तस्राव का पता लगाने के लिए FAST जांच
FAST जांच से दुर्घटना या गंभीर चोट के बाद पेट और छाती के अंदर कहीं छुपा खतरनाक रक्तस्राव तुरंत पहचाना जा सकता है, जिससे मरीज की जान बचाई जा सकती है।
फेफड़ों की गंभीर बीमारियों की जल्दी पहचान के लिए BLUE प्रोटोकॉल
BLUE प्रोटोकॉल फेफड़ों में पानी भरने, फेफड़ों के संक्रमण या फेफड़े फटने जैसी खतरनाक स्थितियों की पहचान में मदद करता है, जिससे तुरंत सही इलाज शुरू किया जा सकता है।
गहन स्थिति में मरीज की हालत का तेजी से मूल्यांकन करने के लिए RUSH प्रोटोकॉल
RUSH प्रोटोकॉल किसी भी गम्भीर हालत वाले मरीज की हृदय, फेफड़े और खून के प्रवाह की स्थिति का तेजी से आकलन करने का तरीका है, जिससे डॉक्टर सही समय पर जीवनरक्षक निर्णय ले सकते हैं।
कार्यक्रम में एसजीपीजीआई लखनऊ के डॉ . दिव्या श्रीवास्तव, डॉ. पल्लव सिंह, डॉ. प्रतीक तथा बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के डॉ. सुनील कुमार आर्य, डॉ. सतीश, डॉ. शहबाज प्रमुख फैकल्टी के रूप में उपस्थित रहे।
इस अवसर पर एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता ने आयोजन की सराहना करते हुए टीम को बधाई दी। डीन डॉ. महिमा मित्तल ने भी आयोजन समिति को सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएँ दीं।
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