अपनी मर्जी से साथ रहने, फिर संबंध खराब होने पर महिला नहीं दर्ज करवा सकती रेप का केस: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को एक मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर महिला किसी पुरुष के साथ रिलेशनशिप में है और मर्जी से उसके साथ रहती है तो फिर संबंधों में खटास आने पर रेप केस (Rape Case) नहीं फाइल कर सकती। यह टिप्पणी जस्टिस हेमंत गुप्ता और विक्रम नाथ की बेंच ने की है। बेंच ने मामले में आरोपी अंसार मोहम्मद को गिरफ्तारी से पहले जमानत दे दी है।

आदेश में कहा गया है कि शिकायत करने वाली महिला याचिकाकर्ता के साथ अपनी मर्जी से रहती थी। इसलिए अब कि जब रिश्ता आगे नहीं बढ़ पा रहा है, तो इस बुनियाद पर आईपीसी की धारा 376 (2) के तहत एफआईआर नहीं दर्ज करवाई जा सकती। इससे पहले राजस्थान हाई कोर्ट ने शख्स को जमानत देने से इनकार कर दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए उन्हें जमानत दे दी।

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जानकारी के अनुसार, अंसार मोहम्मद ने पहले राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दी थी लेकिन वहां सीआरपीसी की धारा 438 के तहत उसे जमानत नहीं दी गई। 19 मई को राजस्थान हाई कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने स्वीकार कर लिया है कि उसने शादी का वादा करके महिला के साथ संबंध बनाए थे और उनसे एक बच्ची भी है। इस अपराध को देखते हुए हमें नहीं लगता कि याचिकाकर्ता को एंटीसिपेटरी बेल दी जानी चाहिए। इसलिए याचिका खारिज की जाती है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चार साल तक वे रिलेशनशिप में रहे। महिला ने जब अंसार के साथ रहना शुरू किया था तब वह 21 साल की थी। इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसे जमानत दे दी। बेंच ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह फैसला केवल एंटीसिपेटरी बेल को लेकर दिया गया है। इसके अलावा जांच आगे बढ़ेगी और इस टिप्पणी का उससे कोई लेना देना नहीं होगा। याचिकाकर्ता की तरफ से वकील अर्जुन सिंह भाटी पेश हुए थे।

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