इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) को राहत देने से इंकार कर दिया है। मौर्य के खिलाफ कथित रूप से बेटी का बिना तलाक दूसरी शादी कराने, मारपीट और गालीगलौज करने के साथ ही जानमाल की धमकी व साजिश रचने का आरोप है।
दीपक कुमार स्वर्णकार ने दाखिल किया वाद
न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश पारित किया कि स्वामी प्रसाद के विरुद्ध प्रथम दृष्टया जो आरोप हैं, उन पर ट्रॉयल कोर्ट में ही विचार हो सकता है। कोर्ट ने इन टिप्पणियों के साथ परिवाद की कार्यवाही व गैर जमानती वारंट को निरस्त करने की मांग वाली स्वामी प्रसाद मौर्या की याचिका को खारिज कर दिया है।
जानलेवा हमला कराने का आरोप
संघमित्रा और उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य ने वादी को बताया कि संघमित्रा का पहले विवाह के बाद तलाक हो गया है, लिहाजा दीपक कुमार स्वर्णकार ने तीन जनवरी 2019 को भाजपा सांसद से शादी कर ली। वहीं, इसके बाद जब उसे पता चला तो शादी की बात खुल न जाए, इसलिए उस पर जानलेवा हमला कराया गया।
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उक्त परिवाद को चुनौती देते हुए स्वामी प्रसाद की ओर से दलील दी गई कि याची के विरुद्ध कोई ठोस आरोप नहीं लगाए गए हैं और पत्रावली पर जो बयान परिवादी का उपलब्ध है, वह विश्वसनीय नहीं लगता। कहा गया कि जो घटनाएं बताई गई हैं, वे भी श्रंखलाबद्ध नहीं हैं और परिवाद बदनीयती से दाखिल किया गया है। हालांकि न्यायालय ने इन दलीलों को अस्वीकार करते हुए कहा कि आरोपों की सत्यता की जांच ट्रॉयल के दौरान ही हो सकती है।
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