मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर। नगर निगम और एनटीपीसी के संयुक्त उपक्रम के तहत सहजनवा के सुथनी में 255 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे वेस्ट टू चारकोल प्लांट का पहला रिएक्टर स्थापित कर दिया गया है। मार्च माह में इस रिएक्टर का परीक्षण किया जाएगा, जिसके बाद मिक्स कचरे से चारकोल बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। यह प्लांट नगर निगम और आसपास की नगर पंचायतों के कूड़े के निस्तारण में अहम भूमिका निभाएगा।
255 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे चारकोल प्लांट का पहला रिएक्टर स्थापित
500 मीट्रिक टन क्षमता का प्लांट
नगर निगम की ओर से सहजनवा के सुथनी में 500 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता का वेस्ट टू चारकोल प्लांट और 200 टन प्रतिदिन क्षमता का बायो-सीएनजी प्लांट स्थापित किया जा रहा है। यह परियोजना शहर में कूड़ा प्रबंधन की एक बड़ी समस्या का समाधान करेगी।
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तीन रिएक्टर होंगे स्थापित, जून तक पूरा होगा कार्य
सुथनी में स्थापित किए जा रहे इस प्लांट में कुल तीन रिएक्टर लगाए जाएंगे, जिनकी कुल क्षमता 200 टीडीपी होगी। पहले रिएक्टर की स्थापना हो चुकी है और जल्द ही इसका ट्रायल किया जाएगा। जून 2025 तक सभी तीनों रिएक्टर स्थापित कर दिए जाएंगे और फिर 500 टन प्रतिदिन कचरे का निस्तारण संभव हो सकेगा। इस परियोजना से नगर निगम को कूड़ा प्रबंधन में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।
सीईओ ने किया निरीक्षण, कार्य में तेजी लाने के निर्देश
शुक्रवार को एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम की सीईओ रेनू नारंग नगर निगम के अधिकारियों के साथ सुथनी प्लांट का निरीक्षण करने पहुंचीं। उन्होंने प्लांट की प्रगति का जायजा लिया और नगर आयुक्त को जल्द कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए। अधिकारियों ने बताया कि पहला रिएक्टर तैयार हो चुका है और चारकोल बनाने की पूरी प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।
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200 टन गीले कचरे से बनेगी बायो-सीएनजी
चारकोल प्लांट के अलावा 200 टन प्रतिदिन क्षमता वाला बायो-सीएनजी प्लांट भी लगाया जा रहा है, जिससे गीले कचरे का उपयोग कर ईंधन का निर्माण किया जाएगा। इससे न केवल कूड़ा निस्तारण में मदद मिलेगी, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा।
निरीक्षण के दौरान उपस्थित अधिकारी
निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल, नगर निगम मुख्य अभियंता संजय चौहान, अभियंता मोहित गुप्ता, सुलेख यादव, अतुल कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन से शहर में कूड़ा निस्तारण की समस्या का स्थायी समाधान मिलने की उम्मीद है, जिससे पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सकेगा।
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