तीन तलाक बिल (2018) को लोकसभा ने पारित कर दिया है. अब इसे राज्यसभा में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा. इसके बाद ही यह कानून की शक्ल ले सकेगा. सदन में मौजूद 256 सांसदों में से 245 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया, जबकि 11 सदस्यों ने इसका खिलाफ अपना वोट दिया. इसके साथ ही सदन में असदुद्दीन ओवैसी के तीन संशोधन प्रस्ताव भी गिर गए.
कांग्रेस और एआईएडीएमके ने इस बिल के विरोध में वॉकआउट कर दिया और वोटिंग के दौरान मौजूद नहीं थे. इसके साथ ही समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने भी वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. इस बिल के खिलाफ लाए गए सभी संशोधन प्रस्ताव सदन में गिर गए. इससे पहले दिसंबर 2017 में भी लोकसभा से तीन तलाक बिल को मंजूरी मिल गई थी, लेकिन राज्यसभा में गिर गया था. इसके बाद सरकार को तीन तलाक पर अध्यादेश लाना पड़ा था. अब सरकार ने एक बार फिर से निचले सदन में संशोधित बिल पेश किया था.
बीजेपी की मीनाक्षी लेखी ने विधेयक को नरेंद्र मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम करार देते हुए कहा कि तीन तलाक को उच्चतम न्यायालय ने असंवैधानिक बताया और इस प्रथा का कुरान में कहीं उल्लेख नहीं है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति के कारण यह प्रथा अब तक चलती आई है जिसका खामियाजा मुस्लिम महिलाओं को भुगतना पड़ा है.
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