लखनऊ: दारोगा सुसाइड केस में बड़ा खुलासा, सचिवालय की लगातार ड्यूटी से नाराज थे निर्मल, हुई थी बहस, डिप्रेशन में खुद को मारी गोली

राजधानी लखनऊ में विधान सभा के गेट नंबर 7 के सामने गुरुवार को सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने से पहले 53 वर्षीय दारोगा निर्मिल कुमार चौबे ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम पत्र लिखा था। लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने बताया कि दारोगा की पॉकेट से सुसाइड नोट मिला, जिसमें मुख्यमंत्री को संबोधन था। दारोगा ने इसमें लिखा था कि मैं अपनी बीमारी से परेशान हो गया हूं, अब जीने की इच्छा नहीं रही। आप से बस इतनी गुजारिश है कि मेरे बच्चों का ख्याल रखिएगा।


पुलिस ने सुसाइड नोट को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा है। प्रभारी निरीक्षक हजरतगंज श्याम बाबू शुक्ला ने बताया कि दारोगा निर्मल चौबे मूलरूप से वाराणसी के चोलापुर थानाक्षेत्र के पलही पट्टी के रहने वाले थे। परिवार में पिता की मौत हो चुकी है। बुजुर्ग मां विद्या देवी, तीन छोटे भाई प्रदीप कुमार, अतुल कुमार, अनिल कुमार, पत्नी निरूपमा, बेटा विकास चौबे, सर्वेश चौबे व विकास की बहू अर्चना है।


डिप्रेशन का शिकार हो गए थे दारोगा


उन्होंने बताया कि दारोगा चिनहट में परिवार सहित रहते थे। कुछ दिनों से वह बीमार चल रहे थे और डिप्रेशन में चले गए थे। इसी डिप्रेशन में उन्होंने खुद को गोली मारी है। बंथरा थाने में तैनात दारोगा निर्मल कुमार चौबे की गुरुवार को विधान भवन पर ड्यूटी थी। दोपहर करीब 3.03 बजे वह गेट नंबर 7 की पार्किंग के पास मौजूद थे। अचानक गोली चलने की आवाज सुनाई दी। आसपास के लोगों ने उन्हें पार्किंग में खून से लथपथ देखा।


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इसकी सूचना मिलते ही पुलिस टीम ने उन्हें सिविल अस्पताल पहुंचाया, जहां उनकी मौत हो गई। आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाली गई, जिसमें दारोगा द्वारा खुद को सर्विस रिवॉल्वर से गोली मारने की पुष्टि हुई है। पुलिस को मौके से उनकी सर्विस रिवॉल्वर और कारतूस मिला।


लगातार सचिवालय पर ड्यूटी लगने से नाराज थे दारोगा


जानकारी के अनुसार, 1987 में सिपाही के पद पर भर्ती हुए निर्मल चौबे को 2 पदोन्नति मिली। पहली पदोन्नति में हेड कांस्टेबल हुए और दूसरी में दारोगा के पद पर तैनात हुए। बंथरा थाने में उनकी तैनाती 2019 में हुई थी। प्रभारी निरीक्षक जितेंद्र सिंह के मुताबिक, चिनहट से बंथरा दूर होने की वजह से अक्सर उनकी ड्यूटी सचिवालय पर लगती थी, ताकि वह आसानी से ड्यूटी करके घर चले जाएं।


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दारोगा की बीमारी के बारे में सभी को जानकारी थी। सहूलियत के लिए ही सचिवालय के पास ड्यूटी पर भेजा जाता था। हालांकि, सूत्रों की मानें तो सचिवालय की लगातार ड्यूटी लगने से दारोगा निर्मल चौबे नाराज थे। वह थाने में रहकर काम करना चाहते थे। इसे लेकर उनकी बहस भी हो चुकी थी।


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