हिलोरे लेता चिलुआताल (Chiluatal) का पारदर्शी जल। संगीतमय रंगीन फब्बारा। झील के किनारों पर बांध। बांध पर झील की ओर पत्थर की पीचिंग। इससे सटे फुटपाथ। ताल की खूबसूरती को निहारने के लिए इसपर जगह-जगह लगी बेंचें। फुटपाथ के बगल में जॉगिंग ट्रैक। ट्रैक से सटी मैरीन ड्राइव की तरह चमचमाती सड़क। सड़कों के किनारे आंखों को भाने वाली हरियाली। शाम ढलते ही पूरे इलाके को दूधिया रोशनी से जगमग कराने के लिए हाईमास्ट। ताल के बीचोबीच से इस खूबसूरत मंजर को देखने के लिए मोटरबोट। यह कोई कल्पना नहीं है। आने वाले कुछ वर्षों में मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर के उत्तरी छोर पर स्थित करीब 400 एकड़ में विस्तृत चिलुआताल का नजारा कुछ ऐसा ही होगा।
सीएम सिटी के चिलुआताल को रामगढ़ की तरह खूबसूरत पिकनिक स्पॉट बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऐसा होने पर शहर के उत्तरी छोर पर रहने वाले लाखों लोगों को सैर-सपाटे का एक नया ठिकाना मिलेगा। चूंकि यह ताल गोरखपुर से नेपाल जाने वाली सड़क से लगा हुआ है, ऐसे में नेपाल जाने वाले देशी एवं विदेशी सैलानियों को भी ताल की खूबसूरती अपनी ओर आकर्षित करेगी।
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दोनों तालों के सुंदरीकरण, नवनिर्मित चिड़ियाघर और अन्य योजनाओं के जरिए आने वाले समय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुसार गोरखपुर देश-दुनिया में पर्यटन के नक्शे पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराएगा। भौगोलिक रूप से बौद्ध परिपथ के केंद्र में होना इन संभावनाओं में चार चांद लगाएगा। पर्यटन हब के रूप में विकसित हो रहे मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर को एक और उपहार मिलने जा रहा है।
चिलुआताल के सुंदरीकरण के लिए पर्यटन विभाग ने 52.36 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार कर पर्यटन निदेशालय को भेजा है। मालूम हो कि रामगढ़ की तरह चिलुआताल का सुंदरीकरण भी योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। समय-समय पर वह संसद में इसकी मांग भी उठाते रहे हैं। गोरखपुर खाद कारखाना भी चिलुआताल से सटा है।
2014-2015 में नरेंद्र मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री दो दशकों से बंद खाद कारखाने की जगह नये कारखाने का शिलान्यास किया। उसके बाद फिर ताल के सुंदरीकरण की खबरें सुर्खियां बनीं। तय हुआ कि कारखाना स्थापित करने वाली कंपनियां सरकार की मदद से ताल का सुंदरीकरण करेंगी। उस समय तबके केंद्रीय पर्यटन मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा ने चिलुआताल का दौरा भी किया था। अब बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को अमली जामा पहनाने जा रहे हैं।
पर्यटन विभाग ने इस ताल के विकास और सुंदरीकरण का जो प्रस्ताव बनाया है उसके अनुसार 52 करोड़ में से 24.72 करोड़ ताल के सुंदरीकरण पर और बाकी पैसा भूमि अधिग्रहण पर खर्च होगा। इसके लिए करीब 25 हेक्टयर भूमि का अधिग्रहण किए जाने का प्रस्ताव है। चिलुआताल को विकसित करने के क्रम में यहां 800 मीटर का बांध बनाने की कार्ययोजना है। 660 मीटर क्षेत्र में बोल्डर पिचिंग कर उसके ऊपरी हिस्से पर वाकिंग ट्रैक बनेगा। तकरीबन डेढ़ सौ मीटर में पक्की घाट बनेगी।
घाट के पास पर्यटकों के बैठने के लिए बेंच की भी व्यवस्था रहेगी। रामगढ़ ताल की तरह यहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगेगा। संगीतमय और रंगीन फव्वारे इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाएंगे। अगर आप किनारे की बजाय ताल के बीच से इसकी खूबसूरती को देखना चाहते हैं तो मोटर बोट की भी सुविधा मिलेगी।
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