आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाया गया विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया और आसानी से पास भी करा लिया. मंगलवार को लोकसभा में मौजूद 326 सांसदों में से 323 ने समर्थन में वोट दिए, जबकि 3 ने इस विधेयक के विरोध में वोट दिए, इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे. मोदी सरकार आज (बुधवार) इसे राज्यसभा में पेश करेगी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विपक्षी पार्टियों ने अपने सभी सदस्यों से बुधवार को राज्यसभा में मौजूद रहने के लिए कहा है. राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है. मंगलवार (08 जनवरी) को लोकसभा में पेश किए गए आरक्षण विधेयक का लगभग सभी पार्टियों ने समर्थन किया, लेकिन राज्यसभा में विपक्षी पार्टियां इस पर कड़ा रुख अपना सकती हैं. राज्यसभा में बीजेपी के पास सबसे अधिक 73 सदस्य हैं, जबकि मुख्य विपक्षी कांग्रेस के 50 सदस्य हैं. राज्यसभा में अभी सदस्यों की कुल संख्या 244 है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विपक्षी पार्टियों के नेता राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन के लिए बढ़ाने के सरकार के ‘‘एकतरफा’’ कदम का भी विरोध कर रहे हैं और वे सदन में विरोध प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने बताया कि कांग्रेस इस विधेयक का समर्थन कर सकती है, जबकि विपक्षी पार्टियां इसे पारित करने में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं.
लोकसभा में हो चुका है पास
आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदम का लगभग सभी पार्टियों ने समर्थन किया है. हालांकि, विपक्ष ने इसे लोकसभा चुनावों से पहले एक ‘चुनावी स्टंट’ बताया है. कांग्रेस ने कहा कि वह आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए लाए गए विधेयक के समर्थन में है, लेकिन उसे सरकार की मंशा पर शक है. पार्टी ने कहा कि सरकार का यह कदम महज एक ‘‘चुनावी जुमला’’ है और इसका मकसद आगामी चुनावों में फायदा हासिल करना है.
बसपा, सपा, तेदेपा और द्रमुक सहित विभिन्न पार्टियों ने इसे बीजेपी का चुनावी स्टंट करार दिया. हालांकि, उन्होंने आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लिए आरक्षण का समर्थन भी किया. कैबिनेट ने सोमवार को आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लिए 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
राजनीतिक लिहाज से देखें तो इसे मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है. क्योंकि यह बिल सदन से पास होता है तो बीजेपी को फायदा और अगर नहीं पास होता है इस सूरत में भी जानकार बीजेपी का ही फायदा बता रहे हैं. विपक्ष के लिए भी सवर्णों आरक्षण का विरोध करना आसान नहीं होगा क्योंकि देश कि कई सीटें ऐसी है जहाँ सवर्ण समाज की बड़ी हिस्सेदारी है. वहीं उत्तर प्रदेश में तो करीब 40 सीटों पर सवर्ण समाज का वोट निर्णायक भूमिका में रहता है.
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