ई-टेंडर नियम और हाईकोर्ट के आदेश को ताक पर रखकर अखिलेश ने एक ही दिन में दी थीं 13 खनन पट्टों को मंजूरी: CBI

सीबीआई को हमीरपुर में हुए खनन घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शामिल होने के पुख्ता सबूत मिले हैं. एजेंसी के पास मौजूद दस्तावेजों के अनुसार अखिलेश यादव ने अपनी ही सरकार की ई-टेंडर नीति और इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का उल्लंघन करते हुए खनन पट्टे बांटे. खनन मंत्री के रूप में उन्होंने खुद 14 पदों का आवंटन किया. इनमें 13 पट्टे तो एक ही दिन में दिए गए थे, वहीं उनके बाद खनन मंत्री बने गायत्री प्रसाद प्रजापति ने 8 पट्टे आवंटित किए थे उन्होंने भी इनमें से पांच एक ही दिन में आवंटित किए थे.

 

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में अखिलेश यादव ने 31 मई 2012 को खनन पट्टीकी नीलामी ई-टेंडर से कराने का नियम बनाया था. इसके बाद 29 जनवरी 2013 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इसपर मुहर लगा दी थी. हाईकोर्ट ने यह भी साफ़ किया था कि 31 मई 2012 के पहले जिन लोगों ने पट्टों के लिए आवेदन किया था या जिनका पट्टा लंबित था, उन सभी निरस्त माना जाए. सभी को ई टेंडर प्रणाली से नया आवेदन करना होगा लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के 18 दिन बाद ही खनन मंत्री के रूप में अखिलेश यादव ने अपने बनाए नियमों और हाईकोर्ट के फैसले की धज्जियां उड़ा दी. हमीरपुर की जिला अधिकारी के रूप में बी. चंद्रकला ने खनन के 13 पदों के आवंटन का प्रस्ताव भेजा और अखिलेश ने 17 फरवरी 2013 को इन सभी को मंजूरी दे दी. इसके बाद 14 जून 2013 को उन्होंने एक और खनन पट्टे को मंजूरी दी. गायत्री प्रजापति ने खनन मंत्री बनने के बाद 8 को मंजूरी थी, जिनमें एक पट्टा सपा सांसद घनश्याम अनुरागी को दिया गया.

 

सीबीआई के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 5 लाख रुपये तक का खनन पट्टा देने का अधिकार जिलाधिकारी को होता है, इससे अधिक के पट्टे के लिए खनन मंत्री की मंजूरी जरूरी होती है. जाहिर है कि इन सभी पदों पर खंड मंत्री के रूप में अखिलेश यादव ने मंजूरी दी थी आदेश का उल्लंघन का खनन पट्टों का आवंटन देखकर खुद इलाहाबाद हाईकोर्ट हैरान था. लिहाजा हाईकोर्ट ने सीबीआई को पूरे प्रकरण की जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी.

 

राजनीतिक दबाव के बारे में पूछे जाने पर वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी ने कहा कि अखिलेश राजनीतिक रूप से कोई भी आरोप लगाने के लिए स्वतंत्र लेकिन एजेंसी के सामने उन्हें बताना होगा कि अपने ही बनाए नियमों और हाईकोर्ट के फैसले का उल्लंघन करने में खनन पट्टे के आवंटन पर मोहर कैसे लगाई. अखिलेश को पूछताछ के लिए बुलाए जाने पर उन्होंने कहा कि फिलहाल जाँच चल रही है, और समय आने पर अखिलेश से भी पूछताछ की जायेगी.

 

बता दें कि खनन घोटाले को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में बवाल मचा हुआ है. इसे लेकर अखिलेश यादव को बसपा चीफ मायावती का भी समर्थन मिला है. बसपा चीफ ने इसे पूरी तरह से राजनीतिक विद्वेष की भावना से प्रेरित कार्रवाई करार दिया है. वहीं सोमवार को संसद सत्र के दौरान एक मंच पर आकर सपा से रामगोपाल यादव और बसपा से सतीश चंद्र मिश्रा ने एक सुर में इस जाँच को बीजेपी का तोते (सीबीआई) से गठबंधन करार दिया है.

 

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