केरल के सबरीमाला मंदिर में दो महिलाओं के प्रवेश के साथ ही मंदिर की 800 साल पुरानी परंपरा आखिरकार टूट ही गयी. काफी ज्यादा जद्दोजहद करने के बाद बुधवार तड़के सुबह 3:45 बजे दो महिलाओं ने भगवान स्वामी अयप्पा के दर्शन किए. इसके साथ ही वर्षों से चली आ रही परंपरा भी टूट गई और केरल की वामपंथी सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले को अमल कराने में कामयाब हो गई. केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की कोशिश को कामयाबी मिली है. मंदिर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब किसी महिला ने मंदिर में प्रवेश किया हो. आपको बता दें कि सबरीमाला मंदिर में 10 साल से लेकर 50 साल की महिलाओं की एंट्री पर रोक लगी हुई थी. महिलाओं के एंट्री पर रोक लगने के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जिसके बाद कोर्ट ने महिलाओं के मंदिर जाने की रोक को हटा दिया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक हटाए जाने के बाद भी मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगी हुई थी.
वीडियो में दिखी लगभग 40 की उम्र की महिलाएं, आधी रात को चढ़ाई की
जारी किए गए वीडियो में देखा जा सकता है कि दो महिलाएं बुधवार को तड़के सुबह मंदिर के मुख्य द्वार से अंदर प्रवेश कर रही हैं. दोनों ही महिलाएं काले रंग का लिबाज पहने हुए हैं. सूत्रों के हवाले से मिल रही जानकारी के मुताबिक, महिलाओं की उम्र लगभग 40 साल है.
2 women , Kanakadurga and Bindu , entered #Sabrimala temple. pic.twitter.com/IoF5TzUSjX
— विकास त्रिपाठी (@vikasjournolko) January 2, 2019
बताया जा रहा है कि मंदिर में प्रवेश लेने के लिए दोनों महिलाओं ने आधी रात को चढ़ाई शुरू कर दी थी. रिपोर्ट के मुताबिक, जिन दो महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश किया है, उसमें से एक का नाम बिंदु और दूसरी महिला का नाम कनकदुर्गा है.
पीएम मोदी ने किया मंदिर की परंपरा का समर्थन
साल 2019 के पहले दिन 1 जनवरी को अपने इंटरव्यू में पीएम नरेंद्र मोदी ने इस मामले में परंपरा का समर्थन करते हुए कहा था कि मंदिरों की परंपराओं को बनाए रखना चाहिए. न्यूज़ एजेंसी ANI की संपादक स्मिता प्रकाश ने सवाल किया कि आप ट्रिपल तलाक पर लैंगिक समानता की बात करते हैं, लेकिन सबरीमाला मंदिर पर आपकी पार्टी कुछ नहीं बोलती और परंपरा कि बात करती है. इस सवाल पर पीएम मोदी ने जवाब देते हुए कहा- ‘पाकिस्तान सहित जितने भी इस्लामिक देश हैं, उन सब में 3 तलाक को खत्म कर दिया गया है और इसके खिलाफ कानून भी बने हैं. इसलिए अगर 3 तलाक धार्मिक मसला होता तो इन देशों में चलता रहता. दूसरी बात, हर मंदिर की अपनी अलग-अलग परंपरा होती है और इन परंपराओं को बनाए रखना चाहिए. देश में ऐसे बहुत सारे मंदिर हैं, जहाँ पुरुषों के प्रवेश की इजाजत नहीं है. इस मामले में महिला न्यायाधीश ने जो फैसला दिया है, उस पर भी बात करनी चाहिए’.
#WATCH #PMtoANI on different stand of BJP on triple talaq&Sabarimala: These are two separate things.Most Islamic countries have banned triple talaq. So it is not a matter of religion or faith. It is an issue of gender equality,matter of social justice. It is not an issue of faith pic.twitter.com/EA655dDqTO
— ANI (@ANI) January 1, 2019
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मंदिर प्राइवेट नहीं सार्वजानिक संपत्ति है: सुप्रीम कोर्ट
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘देश में प्राइवेट मंदिर का कोई सिद्धांत नहीं है. मंदिर प्राइवेट संपत्ति नहीं बल्कि सावर्जनिक संपत्ति होते हैं. जहां कोई भी आ-जा सकता है’. सुप्रीम कोर्ट ने ये तक कहा कि जब भगवान ने पुरुष और महिला में कोई भेद नहीं किया, उसी ने दोनों को बनाया है तो फिर धरती पर भेदभाव क्यों किया जाता है.
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