जानिए कौन है अंशुल दीक्षित, जिसने मुकीम काला और मेराज को गोलियों से भून डाला

आज उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में जेल के अंदर गैंगवॉर हुआ। इस दौरान दो गैंगस्टर के बीच जमकर गोलियां चलीं। इस दौरान मुकीम उर्फ काला और मेराज अली की गोली लगने से मौत हो गई। वहीं गोली मारने वाला गैंगस्टर अंशुल दीक्षित भी पुलिस कार्रवाई में मारा गया। बताया जा रहा है कि शार्प शूटर अंशुल दीक्षित प्रतापगढ़ जेल में भी छह महीने तक था। यहां जेल प्रशासन ने इतनी बार उसकी बैरक बदली कि उसे किसी से संपर्क बनाने का मौका ही नहीं मिला। इससे पहले भी कई बड़ी वारदातों में अंशुल का नाम सामने आ चुका है।


कौन है अंशुल दीक्षित

जानकारी के मुताबिक, अंशुल दीक्षित सीतापुर जिले के मानकपुर कुड़रा बनी का रहने वाला था। लखनऊ यूनिवर्सिटी में एडमिशन के बाद वह कई अपराधियों के संपर्क में आया था। जहां उसने छात्र राजनीति में कदम रखा था। उस पर यूनिवर्सिटी के सेक्रेट्ररी विनोद त्रिपाठी और गौरव सिंह की हत्या का भी आरोप थाइसके अलावा लखनऊ के सीएमओ हत्याकांड में भी वह आरोपी रह चुका है। जीआरपी की कस्टडी से वर्ष 2013 में वह उस समय भाग गया था। जब उसे पेशी पर ले जाया जा रहा था। साल 2008 में वह बिहार के गोपालगंज में अवैध असलहों के साथ पकड़ा गया था।


एमपी और यूपी पुलिस पर चलाईं थी गोलियां

27 अक्टूबर 2013 को अंशु दीक्षित ने भोपाल में एमपी पुलिस और यूपी एसटीएफ की टीम पर गोली चला दी थी। इस गोलीबारी में एसटीएफ के दरोगा संदीप मिश्र और भोपाल क्राइम ब्रांच का सिपाही राघवेंद्र पांडेय घायल हो गए थे। इसके बाद जब अंशुल दीक्षित को 2014 में गोरखपुर एसटीएफ ने उसे सीएमओ विनोद आर्या के बहुचर्चित हत्याकांड में मामले में गोरखनाथ थाना क्षेत्र के 10 नंबर बोरिंग से मुठभेड़ के बाद उसे अरेस्ट किया था। उसके खिलाफ लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र नेता विनोद त्रिपाठी की भी हत्या का आरोप है।


उस वक्त बदमाश पर जीआरपी सीतापुर ने 5 हजार जबकि भोपाल मध्य प्रदेश की पुलिस ने 10 हजार का इनाम घोषित किया था। 2014 में हुई मुठभेड़ में एसटीएफ ने बदमाश के कब्जे से एक पिस्टल, एक तमंचा, कारतूस और फर्जी आईडी प्रूफ बरामद किया था। एसटीएफ की पूछताछ में अंशू ने स्वीकार किया कि वह सीतापुर के एमएलसी भरत त्रिपाठी और उनके बेटे परीक्षित त्रिपाठी की हत्या के लिए साथियों की तलाश करने के लिए गोरखपुर आया था और वहां से नेपाल भागने की फिराक में था। लेकिन एसटीएफ की टीम ने उसे पकड़ लिया।


ये है पूरा मामला

बता दें कि अंशुल दीक्षित (Anshul Dixit) नाम के कैदी ने फायरिंग कर मेराजुद्दीन (Merajuddin) और मुकीम काला (Mukeem Kala) की हत्या कर दी है। मुकीम काला पश्चिम उत्तर प्रदेश का बड़ा बदमाश था तो मेराजुद्दीन माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का खास गुर्गा माना जाता था। वहीं, पुलिस कार्रवाई में अंशुल दीक्षित भी ढेर हो गया है।


इस पूरे मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के महानिदेशक जेल आनंद कुमार से रिपोर्ट तलब की है। साथ ही डीजी जेल को निर्देशित किया है कि मंडलायुक्त चित्रकूटधाम मडंल डीके सिंह, पुलिस महानिरीक्षक चित्रकूट धाम के. सत्यनारायण और डीआइजी जेल, मुख्यालय लखनऊ संजीव त्रिपाठी की टीम इस प्रकरण की जांच करे। इतना ही नहीं इस जांच समिति से सिर्फ छह घंटे में ही जांच रिपोर्ट मांगी गई है।


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