मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर। एम्स गोरखपुर में आज विश्व क्षय रोग दिवस के अवसर पर विभिन्न शैक्षणिक और जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन कार्यकारी निदेशिका मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता के मार्गदर्शन में किया गया।
जागरूकता अभियान और सीएमई का आयोजन
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह के सत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डुमरी खास, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र झरना टोला और एम्स अस्पताल में क्षय रोग (टीबी) के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से की गई। मरीजों और आमजन को टीबी की रोकथाम, लक्षण, जांच और उपचार से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गईं।
दोपहर के सत्र में सतत चिकित्सा शिक्षा (CME) कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें पल्मोनरी मेडिसिन, बाल रोग, माइक्रोबायोलॉजी, सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभागों के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने व्याख्यान दिए।
डीन रिसर्च और सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग के प्रमुख, डॉ. आनंद मोहन दीक्षित ने बताया कि हर वर्ष 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस मनाने का उद्देश्य टीबी के प्रति जागरूकता फैलाना और इसके उन्मूलन के लिए लोगों को प्रेरित करना है। इस वर्ष की थीम “हाँ! हम टीबी को ख़त्म कर सकते हैं: प्रतिबद्ध हों, निवेश करें, परिणाम दें” है, जो इस बीमारी से मुक्ति के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करती है।
डॉ. प्रदीप खरया (सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग) ने बताया कि दुनिया के कुल टीबी मरीजों में से 20-25% भारत में पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की विभिन्न योजनाएँ क्षय रोग से ग्रस्त मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हो रही हैं।
डॉ. अरूप मोहंती (माइक्रोबायोलॉजी विभाग) ने टीबी की आधुनिक जांच तकनीकों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सीबीनेट मशीन के माध्यम से लगभग 20% मामलों में दवा प्रतिरोधकता का भी पता लगाया जा सकता है, जिससे उपचार की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
डॉ. सुबोध कुमार (पल्मोनरी मेडिसिन विभाग) ने क्षय रोग के प्रारंभिक लक्षणों को पहचानने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि यदि किसी मरीज को दो सप्ताह से अधिक समय से बलगम वाली खाँसी, बुखार, वजन कम होना या बलगम में खून आने जैसी समस्याएँ हो रही हों, तो उसे तुरंत टीबी की जांच करानी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि पहले मरीजों को इंजेक्शन लेने पड़ते थे, लेकिन अब नई दवाओं से यह प्रक्रिया आसान हो गई है।
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डॉ. कृति मोहन (बाल रोग विभाग) ने कहा कि भारत में हर साल लगभग तीन लाख बच्चों में क्षय रोग के मामले सामने आते हैं। उन्होंने बच्चों में टीबी की पहचान और उपचार के बारे में जानकारी साझा की।
कार्यक्रम में हुई सराहनीय भागीदारी
कार्यक्रम के अंत में डॉ. अनिल आर. कोपरकर (सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग) ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और इस बीमारी को समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय भारती, अधिष्ठाता (छात्र कल्याण) डॉ. शिखा सेठ, पल्मोनरी मेडिसिन के डॉ. देवेश प्रताप सिंह, विभिन्न विभागों के रेजिडेंट, इंटर्न चिकित्सक और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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एम्स गोरखपुर में आयोजित यह कार्यक्रम क्षय रोग उन्मूलन के प्रति एक महत्वपूर्ण कदम था, जहाँ विशेषज्ञों द्वारा रोग की समझ, रोकथाम और उपचार पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। इस तरह की पहल न केवल मरीजों को जागरूक करने में सहायक है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को भी क्षय रोग से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सशक्त बनाती है।
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