महाराष्ट्र: सहयोगी पार्टी होते हुए भी भाजपा पर निशाना साधने का मौका नहीं छोड़ने वाली शिवसेना ने अगले आम चुनाव को लेकर अलग राह चुन ली है। पार्टी ने एलान कर दिया है कि वह 2019 का विधानसभा और लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। इसकी जानकारी पार्टी नेता संजय राउत ने दी। उन्होंने बताया कि शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह फैसला लिया गया है। हालांकि अभी भी महाराष्ट्र सरकार के साथ गठबंधन बरकरार है।
हिंदुत्व की रक्षा के लिए हर राज्य में लड़ेगी चुनाव
दो दशक से अधिक समय से शिवसेना महाराष्ट्र और केंद्र में भाजपा की अहम सहयोगी रही है। महाराष्ट्र में दोनों पार्टियों की मिलीजुली सरकार है। हालांकि लंबे समय से उनके बीच जारी खींचतान भी जगजाहिर है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कहा है कि उनकी पार्टी हिंदुत्व की रक्षा के लिए हर राज्य में चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि हिंदू वोट में फूट ना पड़े, इसलिए हम कभी महाराष्ट्र से बाहर नहीं निकले। मगर अब शिवसेना हर राज्य में हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी।
उद्धव ठाकरे ने दी थी भाजपा को धमकी
शिवसेना के इस फैसले को उद्धव ठाकरे के बयान से जोड़कर देखा जा रहा है। कुछ दिन पहले ही उन्होंने धमकी दी थी कि अगर जरूरत हुई तो उनकी पार्टी एनडीए से अलग भी हो जाएगी।
अभी भी बरकरार गठबंधन की सरकार
शिवसेना के फैसले पर फडणवीस की प्रतिक्रिया भी सामने आ गई है। वह इस वक्त वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम के लिए दावोस में हैं। 2019 में अकेले चुनाव लड़ने के शिवसेना के फैसले पर फडणवीस ने कहा, ‘देखते हैं, उन्होंने बहुत कुछ कहा है। फिलहाल अभी भी हमारी गठबंधन की सरकार है और यह सरकार अपना पांच साल कार्यकाल पूरा करेगी।’
यह भी बता दें कि महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार में 39 सदस्यीय मंत्रिमंडल में शिवसेना के 12 मंत्री हैं। इनमें पांच कैबिनेट स्तर के मंत्री शामिल हैं। केंद्र में एनडीए सरकार में शिवसेना का एक मंत्री अनंत गीते हैं।