जहां एक तरफ बिकरु कांड में आरोपियों को सजा देने का सिलसिला चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ अब विकास दुबे के केस की तकरीबन 21 फाइलों के गायब होने से हड़कंप मच गया। दरअसल, अफसरों के सख्त आदेश के बावजूद कानपुर पुलिस, प्रशासन और राजस्व के अधिकारियों से विकास दुबे के खिलाफ दर्ज 65 मुकदमों से जुड़ी एफआईआर, चार्जशीट, गवाहों की सूची, उनके बयान से जुड़ी फाइलें मांगी थीं। इनमे से कई मामलों की 21 फाइलें बरामद नहीं की गई हैं। जांच आयोग ने गंभीर अपराधों की फाइल गायब होने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की सिफारिश की है।
21 मुकदमों की फाइलें गायब
जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की रिपोर्ट गुरुवार को विधानसभा के पटल पर रखी गई थी। आयोग में हाई कोर्ट के रिटायर्ड न्यायमूर्ति शशिकांत अग्रवाल और रिटायर्ड डीजीपी केएल गुप्ता बतौर सदस्य शामिल थे। जांच रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कानपुर पुलिस, प्रशासन और राजस्व के अधिकारियों से विकास दुबे के खिलाफ दर्ज 65 मुकदमों से जुड़ी एफआईआर, चार्जशीट, गवाहों की सूची, उनके बयान से जुड़ी फाइलें मांगी थीं।
इनमें से 21 मुकदमों की फाइलें संबंधित अधिकारियों ने उपलब्ध नहीं करवाईं। विभिन्न थानों में दर्ज 43 मामलों की तो फाइल जांच आयोग को मिली। आयोग पांच महीने की जांच के दौरान इन फाइलों का इंतजार करता रहा, लेकिन फाइलें नहीं मिलीं। इसमें 11 मामले शिवली थाने के, चार मामले कल्याणपुर के, पांच मामले चौबेपुर का और एक मामला बिल्हौर का है। ज्यादातर मुकदमे गुंडा ऐक्ट, मारपीट, बलवा, जान से मारने की धमकी, जानलेवा हमले और पुलिस मुठभेड़ से जुड़े हैं।
जांच आयोग ने कहा ये
जांच आयोग ने बिकरु कांड की रात 2 जुलाई 2020 में पुलिस की लापरवाही का भी जिक्र करते हुए कहा कि इस पुलिस पूरी छापेमारी की अगुवाई कर रहे दिवंगत डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्रा समेत कोई भी पुलिस वाला बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं पहने था। 40 में से सिर्फ 18 पुलिस वालों के पास हथियार थे, बाकी पुलिसकर्मी या तो खाली हाथ थे या उनके पास सिर्फ डंडा था। स्थानीय पुलिस और एलआईयू को भी नहीं पता था कि विकास दुबे के पास कौन-कौन से हथियार हैं। उसके सहयोगियों और विकास दुबे की फायर पावर क्या है।
स्थानीय एसओ चौबेपुर विनय तिवारी इस पूरी छापेमारी में खुद पीछे चल रहा था। देवेंद्र मिश्रा अपना मोबाइल गाड़ी में छोड़ गए थे जिसके चलते गैंग ने जब हमला किया तो वह अपनी पुलिस टीम से संपर्क नहीं कर पाए। फिलहाल, जांच आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अब उन पुलिसकर्मियों और अफसर पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है जो विकास दुबे के सहयोगी थे, जिनकी लापरवाही से विकास दुबे पर दर्ज 21 मुकदमों की फाइलें गायब हुई।
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