SIR अभियान: वोटर लिस्ट सुधार के बीच BLOs पर स्वास्थ्य और दबाव का संकट

चुनाव आयोग (ECI) ने विशेष संवेदनशील पुनरीक्षण (SIR) को एक बार का व्यापक वोटर लिस्ट सत्यापन अभियान बताया है। इस प्रक्रिया में बूथ स्तर अधिकारी (BLO) प्रत्येक घर जाकर फॉर्म वितरित करते हैं, वोटर की जानकारी अपडेट करते हैं, पहचान सत्यापित करते हैं, सुधार दर्ज करते हैं और डेटा डिजिटाइज करते हैं। नागरिकों को 2002 की वोटर लिस्ट को भी देखना पड़ता है, जो आधुनिक ऑनलाइन डेटाबेस से अलग एक पुराना रिकॉर्ड है।

SIR का उद्देश्य और असली चुनौती

सिद्धांत रूप में SIR का उद्देश्य डुप्लीकेट वोटरों को हटाना, नए वोटरों को शामिल करना और डेटा को मानकीकृत करना है। लेकिन व्यवहार में पश्चिम बंगाल और केरल में यह प्रक्रिया विवादों में घिर गई है। BLO, राजनीतिक पार्टियों, शिक्षक संघों और स्थानीय अधिकारियों ने इस प्रक्रिया की तेजी और कार्यान्वयन के तरीके पर आपत्ति जताई है।

BLOs पर दबाव और स्वास्थ्य संकट

SIR का समय केवल 30 दिन में कार्य पूरा करने के लिए निर्धारित किया गया है, जबकि सामान्य प्रक्रिया कई वर्षों में पूरी होती है। कई BLO शिक्षक भी हैं, जो उसी समय स्कूल परीक्षाओं का संचालन कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप वेस्ट बंगाल में 19 दिनों में कम से कम 16 मौतें हुईं, हृदयाघात और काम के तनाव से दुर्घटनाएँ हुईं। कोलकाता में BLOs ने प्रदर्शन कर डेडलाइन बढ़ाने और स्वास्थ्य सहायता की मांग की।

तकनीकी बाधाएँ 

डेटा पोर्टल अक्सर क्रैश हो जाता है और सीमित संपादन विकल्प देता है। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की कमी के कारण कई BLOs को वही घर दोबारा जाना पड़ रहा है क्योंकि पोर्टल पहले दर्ज किए गए डेटा को सेव नहीं कर पाता। इस तकनीकी बाधा ने BLOs की कार्यक्षमता और समय पर कार्य पूरा करने की क्षमता पर गहरा असर डाला है।

तेजी से रोलआउट पर आलोचना

शिक्षक संघों और राजनीतिक पार्टियों ने SIR की तेज़ी को अचानक निर्णयों से तुलना की, जैसे कि डेमोनेटाइजेशन और COVID-19 लॉकडाउन। इसके अलावा, 2002 के वोटर रजिस्टर पर निर्भरता ने मतदाताओं में भ्रम और परेशानी बढ़ा दी है। पुराने रिकॉर्ड खोजने और सत्यापित करने में समय और प्रयास की भारी मांग है।

वोटर डेटा त्रुटियाँ और ECI नोटिस

तेज़ी से कार्यान्वयन के कारण कई त्रुटियाँ सामने आई हैं, जैसे गलत पता, गलत नाम और जन्म तिथि में भिन्नता। कोलकाता के बेलिघाटा क्षेत्र में 7 BLOs को अपूर्ण डिजिटाइजेशन के लिए नोटिस भेजा गया। वेस्ट बंगाल में लगभग 10 लाख फॉर्म ऐसे हैं जिनमें वोटर अपने पते पर नहीं मिले। ECI ने वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं जो दैनिक समीक्षा और डेटा अपलोड की निगरानी कर रहे हैं।

फॉर्म वितरण और क्षेत्रीय कठिनाइयाँ

BLOs पर डेडलाइन का दबाव होने के कारण फॉर्म कभी-कभी सड़क, स्कूल, क्लब और बाजार में वितरित किए गए। राजनीतिक पार्टियों ने शिकायत दर्ज कराई कि यह ECI के नियमों का उल्लंघन है। ECI ने कड़ा नियंत्रण और चेतावनी जारी की, लेकिन BLOs का कहना है कि यह दबाव और समयसीमा के कारण था।

वोटरों में भ्रम और पहुंच में बाधाएँ

बुजुर्ग नागरिकों के पास पुराने दस्तावेज़ नहीं हैं, नए और NRI वोटर जिनके पास 2002 की जानकारी नहीं, उनके लिए प्रक्रिया कठिन है। नाम और पता में विसंगतियाँ, पुराने EPIC और नए ID कार्ड के बीच मतभेद पैदा हो रहे हैं। मदद केंद्रों में कुछ राहत मिली, लेकिन मूल समस्याएँ अभी भी बरकरार हैं।

गोपनीयता और राजनीतिक दबाव

सर्वेक्षण के दौरान नागरिक व्यक्तिगत डेटा साझा करने में हिचकिचा रहे हैं। BLOs का आरोप है कि स्थानीय राजनीतिक दबाव उनकी कार्य प्राथमिकता को प्रभावित कर रहा है। विपक्षी पार्टियाँ SIR को ECI का पक्षपाती और उत्पीड़नपूर्ण कदम बता रही हैं, जबकि ECI इसे साफ-सुथरी वोटर लिस्ट बनाने की आवश्यकता बता रहा है।

ECI की प्रतिक्रिया और सुधार उपाय

ECI ने BLOs के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस किया, पोर्टल की गति बढ़ाई और स्वास्थ्य कारणों से छुट्टी की अनुमति दी। अतिरिक्त सहायता केंद्र और परिवहन सुविधा प्रदान की गई। वरिष्ठ पर्यवेक्षक दैनिक रिपोर्टिंग कर रहे हैं और जिला स्तर पर समीक्षा की जा रही है।

चुनावी प्रशासन पर सवाल

SIR अनुभव ने चुनावी प्रशासन, डिजिटल टूल्स और फील्ड कर्मचारियों के समर्थन पर सवाल उठाए हैं। यह केंद्र और क्षेत्रीय स्तर पर निर्णय लेने में असंतुलन को उजागर करता है। ECI साफ-सुथरी वोटर लिस्ट को आवश्यक मानता है, जबकि आलोचक मानवीय समयसीमा और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।

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