आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की जयंती (Birth Anniversary) है. उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था. वह तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे. बीजेपी सरकार अटल बिहारी के जन्मदिवस को सुशासन दिवस के रूप में मनाती है. अटल जी काफी मृदु भाषी और बेहद सरल स्वभाव के व्यक्ति थे, लेकिन दूसरी तरफ निर्भीक और निडर भी थे. वे अटल जी ही हैं लखनऊ में विमान यात्रियों की जान बचाने के लिए खाना छोड़कर एयरपोर्ट पहुँच गए थे. आइये जानते हैं यह पूरा किस्सा..
जनवरी 1992 का मामला
अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में हुए कंधार विमान अपहरण कांड के बारे में काफी लोगों को जानकारी है. लेकिन कम ही लोगों को पता है कि कंधार विमान अपहरण से एक दशक पहले वाजपेयी ने खुद अपनी जान पर खेलकर 48 लोगों को जान बचाई थी. उस समय खुद वाजपेयी हाइजैकर के सामने खड़े हो गए थे. यह पूरा मामला 22 जनवरी 1992 का है. उस दिन लखनऊ से दिल्ली की उड़ान भर रही इंडियन एयरलाइंस के विमान को उड़ान भरने के 15 मिनट बाद हाइजैक कर लिया गया.
केमिकल बम से उड़ाने की धमकी
उड़ान में सवार एक शख्स ने अपने पास केमिकल बम होने का दावा किया और फ्लाइट को वापस लखनऊ हवाई अड्डे ले जाने के लिए कहा. इस पर विमान में सवार सभी लोगों की सांसे थम गई. विमान हाईजैक होने की सूचना से सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया. अपहरणकर्ता की बात मानते हुए विमान को लखनऊ एयरपोर्ट पर लैंड किया गया. सुरक्षा एजेंसियों ने हाईजैकर से संपर्क किया तो उसने मांग की कि उसे विपक्ष के बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी से मिलना है. उसने धमकी दी की यदि मुलाकात नहीं हुई तो वह विमान को बम से उड़ा देगा.
लखनऊ में ही थे वाजपेयी जी
किस्मत से उस दिन वाजपेयी जी समेत तमाम विपक्षी नेता लखनऊ में ही थे. उस समय पूर्व प्रधानमंत्री सर्किट हाउस में खाना खा रहे थे. इस दौरान लखनऊ के डीएम भागे हुए वाजपेयी जी के पास आए. उन्होंने वाजपेयी जी से कहा कि आपका इस समय लखनऊ एयरपोर्ट चलना जरूरी है. उन्होंने वाजपेयी जी को पूरी बात बताई और कहा अगर आप नहीं मिले तो वह पूरे विमान को उड़ा देगा.
सीधे एयरपोर्ट पहुंच गए अटल जी
इसके बाद अटल जी वहां से सीधे एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए. अटल बिहारी वाजपेयी को पहले एयर ट्रैफिक कंटोलर के टावर पर ले जाया गया. वहां से अटल जी ने अपहरणकर्ता से बात की, लेकिन उसे वाजपेयी की आवाज को पहचानने से इंकार कर दिया. वह लगातार विमान को उड़ाने की धमकी दे रहा था. इसके बाद वाजपेयी, डीएम और लालजी टंडन जीप में बैठकर विमान के पास पहुंचे. विमान के नीचे फिर से हाईजैकर की वाजपेयी से बात कराई गई लेकिन उसने इस बार भी आवाज को पहचानने से इनकार कर दिया.
इसके बाद अटल जी ने प्लेन के अंदर जाने का फैसला किया. इस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लालजी टंडन भी थे. वह अपहरणकर्ता के सामने खड़े हो गए. लालजी टंडन ने हाईजैकर से कहा कि तुम वाजपेयी से मिलना चाहते थे वह तुम्हारे सामने खड़े हैं. तुम अपनी मांग रखो और इनके पैर छू लो. जैसे ही हाईजैकर वाजपेयी के पैर छूने के लिए आगे आया सुरक्षाबलों ने उसे पकड़ लिया.
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