GST Collection: वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Service Tax) में बढ़ोतरी के उपाय का असर दिखने लगा है. तभी तो बीते जुलाई महीने के दौरान जीएसटी (GST) की वसूली 28 फीसदी बढ़ी है. महीने में सरकार को जीएसटी के मद में 1.49 लाख करोड़ रुपये मिले हैं. जब से देश में जीएसटी लागू हुआ है, तब से यह दूसरा महीना है, जबकि इतनी अधिक वसूली हुई है. इससे पहले इसी साल अप्रैल में जीएसटी मद में 1.68 लाख करोड़ रुपये मिले थे.
जुलाई महीने में आई GST कलेक्शन की रकम किसी भी एक महीने में टैक्स कलेक्शन का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है. जुलाई महीने में ग्रॉस GST कलेक्शन 1,48,995 करोड़ रहा. इसमें सेंट्रल जीएसटी कलेक्शन (CGST) 25,751 करोड़, राज्य जीएसटी कलेक्शन (SGST) 32,807 करोड़, इंटीग्रेटेड जीएसटी कलेक्शन (IGST) 79,518 करोड़ और सेस की मदद से सरकारी खजाने में कुल 10920 करोड़ रुपये आए. 79518 करोड़ के IGST कलेक्शन में इंपोर्ट की से 41420 करोड़ रुपये की रकम सरकारी खजाने में आई है. वहीं, 10920 करोड़ के सेस में 995 करोड़ की रकम इंपोर्ट की मदद से आए हैं. वित्त मंत्रालय के मुताबिक बीते वर्ष जुलाई 2021 के मुकाबले जीएसटी रेवेन्यू 35 फीसदी ज्यादा है.
मार्च से अब तक कलेक्शन
मई 2022 में सरकार को जीएसटी से 1.40 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे. इस साल अप्रैल में जीएसटी ने सबसे ज्यादा कलेक्शन का रिकॉर्ड बनाया था. अप्रैल 2022 में सरकार को जीएसटी से 1.68 लाख करोड़ रुपये मिले थे. मार्च 2022 में भी इनडाइरेक्ट टैक्सेज (Indirect Taxes) से 1.42 लाख करोड़ रुपये मिले थे. इससे पहले फरवरी में जीएसटी कलेक्शन 1.33 लाख करोड़ रुपये रहा था.
महामारी की मार से उबर रहा बाजार
जानकारों की मानें तो ये लगातार बढ़ते जीएसटी के आंकड़ें महामारी की मार से उबरने का संकेत दे रहे हैं. इसे महंगाई और सरकार द्वारा लागू किए गए कड़े नियंत्रण और संतुलन के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. इसके अलावा, हाल ही में जीएसटी परिषद की बैठक के बाद युक्तिकरण लागू किए जाने के साथ, आने वाले महीनों में ये संख्या और बढ़ सकती है. मासिक वृद्धि के अलावा, पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में जुलाई 2022 तक जीएसटी रेवेन्यू में 35 फीसदी की वृद्धि हुई है. वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि आर्थिक सुधार के साथ बेहतर रिपोर्टिंग का लगातार जीएसटी राजस्व पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
जुलाई से कई वस्तुओं पर लागू हुई है जीएसटी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जून के आखिर में जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक हुई थी. बैठक में GST काउंसिल ने कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों पर GST लगाने का फैसला किया, जिन्हें इस टैक्स स्लैब से बाहर रखा गया था. इसके बाद 18 जुलाई से रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे दही, लस्सी, चावल, पनीर और अन्य पर GST को लागू कर दिया गया है. इसका असर दूध के पैक्ड प्रोडक्ट और अन्य चीजों की कीमतों पर दिखने लगा है. GST काउंसिल ने टेट्रा पैक वाले दही, लस्सी और बटर मिल्क पर 5 फीसदी GST लगाने का फैसला किया था.
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