बरेली (Bareilly) के नारियावल में बनने वाली इंटरनेशनल सिटी टाउनशिप (International City Township)
में 600 एकड़ सरकारी जमीन का इस्तेमाल किया गया है, जिसकी कीमत करीब 8000 करोड़ रुपये है। बरेली भाजपा नेता महेश पांडेय (BJP Leader Mahesh Pandey) ने दावा किया कि यह प्रोजेक्ट अभिषेक के करीबी बिल्डर राजू खंडेलवाल (Raju Khandewal) द्वारा चलाया जा रहा था। पांडेय ने आरोप लगाया कि अभिषेक ने सरकारी जमीनों पर कब्जा करने के लिए अपने प्रशासनिक दबाव का गलत उपयोग किया।इस घोटाले को लेकर पांडेय ने हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने इस प्रोजेक्ट के अवैध निर्माण पर सवाल उठाए थे। हालांकि, निर्माण कार्य जारी रहा, इसके बावजूद बीडीए ने नक्शा निलंबित कर दिया था।
बेनामी संपत्तियां और मुआवजे में हेराफेरी
महेश पांडेय के मुताबिक, अभिषेक प्रकाश ने बरेली के आंवला, सदर तहसील और फरीदपुर में बेनामी संपत्तियां बनाई। इन संपत्तियों में अभिषेक का पैसा राजू खंडेलवाल, विपिन अग्रवाल और राजेश गुप्ता जैसे बिल्डरों के माध्यम से लगाया गया। पांडेय ने दावा किया कि इन संपत्तियों के जरिए अभिषेक ने करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की।पांडेय ने बताया कि उन्होंने अभिषेक के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) में शिकायत दर्ज कराई है और उम्मीद जताई है कि ईडी की जांच से उनके काले कारनामे उजागर होंगे।
तालाबों पर कब्जों का आरोप
अभिषेक प्रकाश पर यह भी आरोप है कि उन्होंने 113 तालाबों को भरकर निर्माण कार्य कराया, जो सुप्रीम कोर्ट के 2001 के फैसले का उल्लंघन था। जलमग्न क्षेत्रों में निर्माण अवैध ठहराया गया है। महेश पांडेय ने आरोप लगाया कि इस दौरान अभिषेक ने चकबंदी के समय अधिकारियों के अधिकारों का दुरुपयोग किया और SDM मनीष नहर से अवैध कार्रवाई की।यह आरोप भी लगाया गया कि अभिषेक ने लखनऊ डीएम बनने के बाद इस मामले को फिर से उठाया और राजस्व परिषद के माध्यम से इसे दोबारा वैध करवा लिया।
अभिषेक प्रकाश और राजू खंडेलवाल की मिलीभगत
IAS अभिषेक प्रकाश (IAS Abhishek Prakash) और राजू खंडेलवाल के बीच घनिष्ठ संबंधों का खुलासा करते हुए महेश पांडेय ने बताया कि राजू खंडेलवाल ने अभिषेक के संरक्षण में सरकारी जमीनों पर कब्जा किया और इंटरनेशनल सिटी प्रोजेक्ट का निर्माण शुरू किया। पांडेय का कहना है कि इस मामले में ईडी अब राजू खंडेलवाल से भी पूछताछ करेगी।
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महेश पांडेय का आरोप
महेश पांडेय का कहना है कि अभिषेक प्रकाश की अखिलेश यादव सरकार में गहरी पैठ थी, जिसके कारण उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि, योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अभिषेक को निलंबित कर उनके खिलाफ जांच शुरू की, जिससे पांडेय ने सराहना की।
अभिषेक प्रकाश पर अन्य आरोप
अभिषेक प्रकाश पर लखीमपुर खीरी और बरेली में 700 बीघा भूमि अपने परिवार के नाम पर खरीदने का आरोप है। यह जमीन उन्होंने फर्जी कंपनियों के नाम पर खरीदी थी। इसके अलावा, दोनों जगहों पर स्टांप ड्यूटी में धोखाधड़ी के आरोप हैं। DOPT ने यूपी सरकार को इस मामले की जांच करने के लिए पत्र लिखा था।
अभिषेक प्रकाश के कार्यकाल की जांच
सरकार अब अभिषेक प्रकाश के विभिन्न कार्यकालों की विजिलेंस से जांच कराएगी। उनके कार्यकाल के दौरान लखीमपुर खीरी, बरेली, अलीगढ़, हमीरपुर, और लखनऊ जैसे जिलों में किए गए प्रशासनिक फैसले और वित्तीय लेनदेन जांच के दायरे में आ सकते हैं।अभिषेक ने जिन अहम पदों पर कार्य किया उनमें लखनऊ डीएम, अलीगढ़ डीएम, नेशनल हेल्थ मिशन और लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) जैसे पद शामिल हैं।
निवेश यूपी में भ्रष्टाचार
अभिषेक प्रकाश पर यह आरोप भी है कि उन्होंने यूपी सरकार के निवेश पोर्टल ‘निवेश यूपी’ में भ्रष्टाचार किया। उन्होंने निवेशकों की फाइलें जानबूझकर रोकीं और बिना पैसे के मंजूरी नहीं दी। इसके अलावा, अयोध्या और वाराणसी में महत्वपूर्ण परियोजनाओं को लटकाने का भी आरोप है, जो राज्य सरकार की प्राथमिकता वाले प्रोजेक्ट थे।
ED की जांच
प्रवर्तन निदेशालय (ED) और यूपी सरकार अभिषेक प्रकाश के खिलाफ जांच कर रहे हैं। विभिन्न आरोपों और घोटालों के बीच अब यह देखा जाएगा कि जांच का परिणाम क्या होता है और क्या अभिषेक प्रकाश को न्यायालय के सामने लाया जा सकेगा।
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