उत्तर प्रदेश में मंत्री, विधायक और सांसदों की शिकायतें लंबे समय से सामने आ रही थीं कि अधिकारी उनके पत्रों और सुझावों को नजरअंदाज कर रहे हैं। इसे लेकर अब योगी सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि कोई अधिकारी जनप्रतिनिधियों के पत्रों का जवाब नहीं देता है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव जेपी सिंह-द्वितीय ने इस संबंध में सभी वरिष्ठ अधिकारियों, जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को पत्र भेजकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
जनप्रतिनिधियों के पत्रों का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य
सरकार ने सभी सरकारी कार्यालयों को निर्देश दिया है कि वे एक विशेष जनप्रतिनिधि पत्राचार रजिस्टर रखें। इस रजिस्टर में जनप्रतिनिधियों से प्राप्त पत्रों का पूरा विवरण दर्ज किया जाएगा और उनकी पावती भेजने की व्यवस्था भी की जाएगी। साथ ही मामले की स्थिति से संबंधित जानकारी जनप्रतिनिधियों को समय पर दी जाएगी, जिससे बार-बार पत्राचार की आवश्यकता न पड़े। इसके बावजूद शिकायतें आ रही हैं कि अधिकारियों द्वारा इन पत्रों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा, जिससे सरकार की छवि खराब हो रही है।
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पुलिस विभाग की कार्रवाई
पुलिस विभाग में भी आम जनता की शिकायतों को नजरअंदाज करने पर कार्रवाई शुरू हो गई है। डीजीपी राजीव कृष्ण ने गाजियाबाद और वाराणसी के पुलिस कमिश्नर तथा देवरिया, संभल, कौशांबी और बदायूं के एसपी से स्पष्टीकरण मांगा है। डीजीपी ने जनसुनवाई, महिला सुरक्षा, साइबर अपराध और हिरासत में मौत जैसे मामलों में लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए इन जिलों में शिकायतों के बढ़ते आंकड़ों पर नाराजगी जताई।
जनशिकायतों में लापरवाही पर थानों की होगी पहचान
राज्य के पुलिस प्रमुख ने प्रत्येक जनपद से उन थानों की पहचान करने के निर्देश दिए हैं, जहां जनशिकायतों का निस्तारण लगातार टल रहा है। डीजीपी ने कहा कि शिकायतों की प्राथमिकता से जांच कर समस्या की जड़ तक पहुंचना होगा। साथ ही, जिन पुलिसकर्मियों के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही हैं, उन्हें चिन्हित कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
संवेदनशीलता के साथ हो जनता से व्यवहार: डीजीपी
राज्य के प्रमुख शहरों लखनऊ, झांसी, बहराइच, जौनपुर, कानपुर और आगरा में पुलिसकर्मियों के खिलाफ सबसे ज्यादा शिकायतें आई हैं। डीजीपी ने निर्देश दिया कि इन मामलों में व्यक्तिगत स्तर पर वरिष्ठ अधिकारी पीड़ितों से संवाद करें और यदि शिकायतें सही पाई जाएं तो दोषी कर्मियों पर तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शिकायतकर्ताओं के साथ संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार किया जाए ताकि जनता का भरोसा तंत्र पर बना रहे।