उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने शिक्षकों को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करना अनिवार्य बताया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के शिक्षक अनुभवी हैं और समय-समय पर उन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया है। ऐसे में उनकी वर्षों की सेवा और योग्यता को अनदेखा करना उचित नहीं होगा।
शिक्षकों को मिली बड़ी राहत, प्रदर्शन स्थगित
मुख्यमंत्री के इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने प्रस्तावित सभी धरना-प्रदर्शन कार्यक्रमों को स्थगित करने की घोषणा कर दी है। शिक्षक संघ ने कहा कि सरकार ने शिक्षकों के हित में सकारात्मक कदम उठाया है, इसलिए अब किसी भी प्रकार के आंदोलन की जरूरत नहीं रह गई है। संगठन ने सभी शिक्षकों से अपील की है कि वे अब पूरी तरह बच्चों के शिक्षण कार्य पर ध्यान केंद्रित करें।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मचा था हड़कंप
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक आदेश में कहा था कि कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को टीईटी पास करना अनिवार्य होगा, चाहे वे सेवा में हों या नहीं। इस आदेश के बाद प्रदेशभर में शिक्षक समुदाय में चिंता और आक्रोश फैल गया था। बीटीसी शिक्षक संघ सहित अन्य संगठनों ने सरकार से इस मुद्दे पर हस्तक्षेप की मांग की थी और आंदोलन की चेतावनी दी थी।
पुराने शिक्षकों को छूट की मांग
शिक्षक संगठनों की प्रमुख मांग थी कि 29 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत पहले ही छूट दी गई थी, जिसे बहाल रखा जाए। संगठनों ने राज्य सरकार से अपील की थी कि वह सुप्रीम कोर्ट में इन शिक्षकों की ओर से पक्ष रखे और जरूरत पड़े तो नियमों या कानून में संशोधन कर राहत प्रदान करे। अब मुख्यमंत्री द्वारा रिवीजन याचिका दाखिल करने का फैसला शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत बनकर सामने आया है।