NDA में सीट शेयरिंग पर उठापटक! मांझी vs चिराग, किसका पलड़ा भारी?

Bihar Election 2025: बिहार चुनाव से पहले एनडीए में सीटों को लेकर रणनीति पर काफी हंगामा देखने को मिल रहा है। खासतौर पर लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (Hum) के नेता जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के बीच सीटों की मांग को लेकर कंपीटिशन जोर लिया  पकड़ है।

मांझी का दावा 

‘हम’ के प्रमुख जीतन राम मांझी ने साफ किया है कि वे सिर्फ अपने दल का हक मांग रहे हैं। उनका कहना है कि एनडीए के नेताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके दल को अपमानित न किया जाए। मांझी का सपना ‘हम’ को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाना है और इसी के चलते वे 15 सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं। उनका मानना है कि पिछले चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी उनके दल को उचित महत्व नहीं दिया गया।

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पिछली जीतों पर मांझी का भरोसा

पिछले विधानसभा चुनाव में मांझी की पार्टी ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा और चार सीटों पर जीत हासिल की। उनका दावा है कि यदि उन्हें 15 सीटें दी जाती हैं और 60 प्रतिशत सफलता मिलती है तो आठ सीट जीतकर उनकी पार्टी को राज्य स्तर पर मान्यता मिल सकती है। यही वजह है कि मांझी अपनी मांग पर डटे हुए हैं और उनका तर्क है कि पार्टी को कमजोर करने के बजाय एनडीए को मजबूत करेंगे।

चिराग की प्रेशर पॉलिटिक्स

वहीं, चिराग पासवान भी सीटों को लेकर दबाव की राजनीति जारी रखे हुए हैं। वे 36 से 40 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि एनडीए की ओर से उन्हें 20-22 सीटों का प्रस्ताव मिला है। चिराग का मानना है कि उनका दल पूरी क्षमता के साथ चुनाव लड़ सकता है और उन्होंने एलजेपी की इमरजेंसी बैठक बुलाई है। पिछले चुनाव में एलजेपी अकेली चुनाव मैदान में उतरी थी, जिसमें 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे गए थे लेकिन केवल एक ही जीत हासिल हुई थी।

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कौन आगे?

एनडीए आलाकमान ने घटक दलों को मिलने वाली सीटों का आंकड़ा लगभग तय कर लिया है। इसलिए मांझी और चिराग की मांग पूरी तरह पूरी नहीं हो सकती। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मांझी का दावा ज्यादा ठोस और भरोसेमंद नजर आता है, क्योंकि उनके पिछले चुनाव प्रदर्शन और वर्तमान रणनीति को देखते हुए उनकी ताकत अधिक मानी जा रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार चुनाव में एनडीए के भीतर इस कंपीटिशन का रुख किस ओर जाता है।

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